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    Sawan Vinayak Chaturthi 2023: सावन में कब है अधिक विनायक चतुर्थी? जानें-शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं मंत्र

    Sawan Vinayak Chaturthi 2023 पंचांग के अनुसार सावन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी 21 जुलाई को प्रातःकाल 06 बजकर 58 मिनट पर शुरू होकर अगले दिन सुबह 09 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। अतः 21 जुलाई को विनायक चतुर्थी है। साधक सुबह 10 बजकर 44 मिनट तक भगवान गणेश की पूजा कर सकते हैं।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Tue, 18 Jul 2023 09:52 AM (IST)
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    Sawan Vinayak Chaturthi 2023: सावन में कब है अधिक विनायक चतुर्थी? जानें-शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं मंत्र

    नई दिल्ली, आध्यात्म डेस्क | Sawan Vinayak Chaturthi 2023: हिन्दू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी मनाई जाती है। तदनुसार, सावन माह में 21 जुलाई को अधिक विनायक चतुर्थी है। ज्योतिषियों की मानें तो 18 जुलाई से लेकर 16 अगस्त तक मलमास है। मलमास के दौरान पड़ने के चलते यह अधिक विनायक चतुर्थी कहलाएगी। इस दिन देवों के देव महादेव के पुत्र भगवान गणेश की पूजा की जाती है। साथ ही विशेष कार्य में सिद्धि प्राप्ति हेतु उनके निमित्त व्रत उपवास रखा जाता है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और सिद्धिविनायक भी कहा जाता है। अतः विनायक चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में व्याप्त सभी दुख, संकट, काल और कष्ट दूर हो जाते हैं। साथ ही विशेष कार्य में सिद्धि प्राप्त होती है। इसके अलावा, साधक के घर में सुख और समृद्धि आती है। आइए, पूजा का शुभ मुहूर्त, तिथि और विधि जानते हैं-

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    शुभ मुहूर्त

    पंचांग के अनुसार, सावन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी 21 जुलाई को प्रातःकाल 06 बजकर 58 मिनट पर शुरू होकर अगले दिन सुबह 09 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। अतः 21 जुलाई को विनायक चतुर्थी है। साधक सुबह 10 बजकर 44 मिनट तक भगवान गणेश की पूजा कर सकते हैं। यह समय पूजा के लिए शुभ है। साथ ही चौघड़िया तिथि अनुरूप भी पूजा कर सकते हैं।

    पूजा विधि

    विनायक चतुर्थी के दिन ब्रह्म बेला में उठें। अब भगवान गणेश को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। इसके पश्चात, घर की साफ-सफाई करें साथ ही गंगाजल छिड़ककर नकारात्मक शक्तियों को दूर करें। नित्य कर्मों से निवृत होकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इस समय आचमन कर स्वयं को शुद्ध करें। अब पीले रंग का वस्त्र धारण करें। तदोउपरांत, सूर्य देव को जल अर्पित करें। इसके बाद पंचोपचार कर भगवान गणेश की पूजा पीले रंग के फूल, फल, हल्दी, चंदन, अक्षत, कुमकुम, दूर्वा और मोदक से करें। इस समय निम्न मंत्र का उच्चारण करें-

    वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।

    निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

    पूजा के समय गणेश चालीसा, गणेश स्त्रोत, स्तुति एवं गणेश कवच का पाठ करें। अंत में आरती-अर्चना कर सुख, समृद्धि और धन वृद्धि की कामना करें। दिनभर उपवास रखें और संध्याकाल में चंद्र देव की विधिवत पूजा करें। आरती-अर्चना और दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करें। इसके पश्चात, फलाहार करें। अगले दिन पूजा पाठ संपन्न कर व्रत खोलें।

    डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।