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    Masik Karthigai 2023: कब है अधिक मास की मासिक कार्तिगाई? जानें-शुभ मुहूर्त, व्रत विधि, महत्व एवं मंत्र

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Mon, 31 Jul 2023 06:18 PM (IST)

    Masik Karthigai 2023 सनातन धर्म में सावन महीने का विशेष महत्व है। इस माह में पड़ने वाले मासिक कार्तिगाई दीपम पर शिव भक्त उत्सव मनाते हैं। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से व्यक्ति को सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। मासिक कार्तिगाई की संध्याकाल में दीप जलाए जाते हैं। इससे घर में मौजूद वास्तु दोष दूर होता है।

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    Masik Karthigai 2023: कब है अधिक मास की मासिक कार्तिगाई? जानें-शुभ मुहूर्त, व्रत विधि, महत्व एवं मंत्र

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Masik Karthigai 2023: हिन्दू पंचांग के अनुसार, 9 अगस्त को मासिक कार्तिगाई दीपम है। यह पर्व हर महीने कृतिका नक्षत्र के दिन मनाया जाता है। सनातन धर्म शास्त्रों में निहित है कि एक बार श्रेष्ठता को लेकर भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी के मध्य वाक्य युद्ध हो गया। इस युद्ध में बड़े से बड़े ऋषि मुनि और देवी देवता उपस्थित थे। जब कोई निष्कर्ष नहीं निकला, उस समय सभी महादेव के शरण में पहुंचे। भगवान शिव ने यह कहकर वाक्य युद्ध को समाप्त कर दिया कि जो मेरे ज्योत स्वरूप के शीर्ष और आदि पर पहुंचेंगे। वहीं, श्रेष्ठ कहलाएंगे। हालांकि, ब्रह्मा जी और भगवान विष्णु अंतिम बिंदु तक नहीं पहुंच सके। अत: हर महीने कृतिका नक्षत्र पर मासिक कार्तिगाई दीपम मनाया जाता है। इस दिन देवों के देव महादेव की ज्योत रूप में पूजा की जाती है। आइए, तिथि, पूजा विधि एवं महत्व जानते हैं-

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    महत्व

    सनातन धर्म में सावन महीने का विशेष महत्व है। इस माह में पड़ने वाले मासिक कार्तिगाई दीपम पर शिव भक्त उत्सव मनाते हैं। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से व्यक्ति को सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। मासिक कार्तिगाई की संध्याकाल में दीप जलाए जाते हैं। इससे घर में मौजूद वास्तु दोष दूर होता है।

    पूजा विधि

    मासिक कार्तिगाई के दिन ब्रह्म बेला में उठकर भगवान शिव को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। घर की साफ-सफाई और दैनिक कार्यों से निवृत होने के पश्चात गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। अब आचमन कर व्रत संकल्प लें। इसके बाद सफेद रंग के कपड़े पहनकर सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। इस समय सुख और समृद्धि प्राप्ति हेतु कामना करें। अब पूजा गृह में गंगाजल छिड़ककर घर को शुद्ध कर एक चौकी पर शिव परिवार की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें। तदोउपरांत, गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक करें और विधि पूर्वक पूजा करें। इस समय शिव चालीसा और शिव मंत्रों का जाप करें। पूजा के अंत में आरती-अर्चना कर सुख और समृद्धि की कामना करें। संध्या काल में आरती-अर्चना कर घर में दीपक जलाएं।

    डिस्क्लेमर-''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'