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    Bhadrapad Shivratri 2023: कब है भाद्रपद माह की मासिक शिवरात्रि? नोट करें शुभ मुहूर्त, पूजा-विधि एवं मंत्र

    Bhadrapad Shivratri 2023 भाद्रपद माह की चतुर्दशी 13 सितंबर को देर रात 02 बजकर 21 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 14 सितंबर को ब्रह्म बेला में 04 बजकर 48 मिनट पर समाप्त होगी। साधक 13 सितंबर को व्रत रखकर भगवान शिव की पूजा आराधना कर सकते हैं। धार्मिक मत है कि मासिक शिवरात्रि का व्रत करने से विवाहित महिलाओं को सुख सौभाग्य और संतान की प्राप्ति होती है।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 04 Sep 2023 08:00 AM (IST)
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    Bhadrapad Shivratri 2023: कब है भाद्रपद माह की मासिक शिवरात्रि? नोट करें शुभ मुहूर्त, तिथि, पूजा-विधि एवं मंत्र

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Bhadrapad Masik Shivratri 2023: सनातन पंचांग के अनुसार, प्रत्येक महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। इस प्रकार,भाद्रपद महीने में मासिक शिवरात्रि 13 सितंबर को है। सनातन शास्त्रों में वर्णित है कि शिवरात्रि तिथि पर देवों के देव महादेव और जगत जननी आदिशक्ति मां पार्वती परिणय सूत्र में बंधे थे। अतः शिवरात्रि तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधि पूर्वक पूजा की जाती है। साथ ही शिव उपासक मनोवांछित फल की प्राप्ति हेतु व्रत रखते हैं। धार्मिक मत है कि मासिक शिवरात्रि का व्रत करने से विवाहित महिलाओं को सुख, सौभाग्य और संतान की प्राप्ति होती है। वहीं, अविवाहित जातकों की शीघ्र शादी के योग बनने लगते हैं। आइए, पूजा का शुभ मुहूर्त और व्रत विधि जानते हैं-

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    शुभ मुहूर्त

    भाद्रपद माह की चतुर्दशी 13 सितंबर को देर रात 02 बजकर 21 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 14 सितंबर को ब्रह्म बेला में 04 बजकर 48 मिनट पर समाप्त होगी। साधक 13 सितंबर को व्रत रखकर भगवान शिव की पूजा आराधना कर सकते हैं।

    पूजा विधि

    मासिक शिवरात्रि के दिन ब्रह्म बेला में उठकर सबसे पहले महादेव और माता पार्वती को प्रणाम करें। इसके पश्चात, घर की साफ-सफाई करें। दैनिक कार्यों से निवृत होने के पश्चात गंगजल युक्त पानी से स्नान करें। अब आचमन कर अपने आप को शुद्ध करें। तदोउपरांत, श्वेत वस्त्र का धारण कर भगवान भास्कर को जल का अर्घ्य दें। अब पूजा गृह में गंगाजल छिड़ककर निम्न मंत्र से शिव पार्वती का आह्वान करें-

    • ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।

      शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।

    • कर्पूरगौरं करुणावतारम् संसारसारं भुजगेन्द्रहारम् |

      सदा वसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि ||

    तदोउपरांत, एक चौकी पर वस्त्र बिछाकर भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। अब षोडशोपचार कर भगवान शिव एवं माता पार्वती की पूजा विधि विधान पूर्वक करें। इस समय शिव और पार्वती चालीसा का पाठ करें।

    पूजा के अंत में आरती कर सुख-समृद्धि की कामना करें। साधक मनोवांधित फल की प्राप्ति हेतु व्रत रख सकते हैं। व्रत के दौरान दिन में एक फल और एक बार मीठा जल ग्रहण कर सकते हैं। संध्याकाल में आरती कर फलाहार करें। साधक संध्याकाल में भजन कीर्तन कर सकते हैं। अगले दिन पूजा पाठ कर व्रत खोलें।

    डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।