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    Somvati Amavasya 2023 Date: सावन महीने में कब है सोमवती अमावस्या? जानें-शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं महत्व

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Tue, 04 Jul 2023 04:04 PM (IST)

    Somvati Amavasya 2023 Date धार्मिक मान्यता है कि सोमवती अमावस्या के दिन तर्पण करने से पितृ प्रसन्न होते हैं। उनकी कृपा से व्यक्ति को सुख समृद्धि और संतान सुख की प्राप्ति होती है। सोमवती अमावस्या के दिन देवों के देव महादेव की पूजा करने से व्यक्ति को सभी प्रकार के काल कष्ट दुख संकट रोग- व्याधि से मुक्ति मिलती है।

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    Somvati Amavasya 2023 Date: सावन महीने में कब है सोमवती अमावस्या? जानें-शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं महत्व

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Somvati Amavasya 2023 Date: प्रत्येक महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के अगले दिन अमावस्या तिथि पड़ती है। इस प्रकार, सावन माह की अमावस्या सोमवार 17 जुलाई को है। इस वर्ष सावन माह की अमावस्या सोमवार को पड़ रही है। अतः यह सोमवती अमावस्या कहलाएगी। धार्मिक मान्यता है कि सोमवती अमावस्या के दिन तर्पण करने से पितृ प्रसन्न होते हैं। उनकी कृपा से व्यक्ति को सुख, समृद्धि और संतान सुख की प्राप्ति होती है। सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति को सभी प्रकार के काल, कष्ट, दुख, संकट, रोग- व्याधि से मुक्ति मिलती है। अतः सोमवती पर साधक पवित्र नदी या सरोवर में स्नान कर देवों के देव महादेव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करते हैं। आइए, सोमवती अमावस्या का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं महत्व जानते हैं-

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    शुभ मुहूर्त

    दैनिक पंचांग के अनुसार, सावन की सोमवती अमावस्या 16 जुलाई को देर रात 10 बजकर 08 मिनट पर शुरू होगी और 18 जुलाई को देर रात 12 बजकर 01 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। अतः 17 जुलाई को सोमवती अमावस्या मनाई जाएगी।

    महत्व

    सनातन धर्म में सोमवती अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है। इस शुभ अवसर पर शिव मंदिरों में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि सोमवती अमावस्या के दिन मौन रहकर स्नान-ध्यान करने से गौ दान समतुल्य पुण्य प्राप्त होता है।

    पूजा विधि

    सोमवती अमावस्या के दिन प्रातः काल ब्रह्म बेला में उठें और भगवान शिव को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। अगर सुविधा है, तो नदी या सरोवर में स्नान करें। सुविधा न रहने पर घर में ही गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इस समय आचमन कर स्वयं को शुद्ध करें और नवीन वस्त्र धारण करें। अब सबसे पहले जल में काले तिल मिलाकर सूर्य देव को अर्घ्य दें। इसके पश्चात, देवों के देव महादेव और माता पार्वती की पूजा विधिवत करें। इसके लिए पंचोपचार कर महादेव की पूजा फल, फूल, भांग, धतूरा, बेलपत्र आदि से करें। इस दिन गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक अवश्य करें। इससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। पूजा के समय शिव चालीसा, शिव स्त्रोत का पाठ और शिव मंत्र का जाप करें। अंत में शिव पार्वती की आरती कर सुख, समृद्धि, शांति और धन प्राप्ति की कामना करें। पूजा समापन के बाद ब्राह्मणों को दान दक्षिणा अवश्य दें।

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'