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    Masik Durga Ashtami 2023: कब है मासिक दुर्गाष्टमी, जानें-शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं व्रत लाभ

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Wed, 26 Apr 2023 02:07 PM (IST)

    Masik Durga Ashtami 2023 इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त दिन भर है क्योंकि अष्टमी 27 अप्रैल को दोपहर 1 बजकर 38 मिनट से शुरू होकर 28 अप्रैल को शाम 4 बजकर 01 मिनट तक है। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है।

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    Masik Durga Ashtami 2023: कब है मासिक दुर्गाष्टमी, जानें-शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं व्रत लाभ

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Masik Durga Ashtami 2023: हिंदी पंचांग के अनुसार, हर महीने में शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मासिक दुर्गाष्टमी मनाई जाती है। इस प्रकार साल 2023 के वैशाख महीने में 28 अप्रैल को मासिक दुर्गाष्टमी है। इस दिन जगत जननी आदिशक्ति मां भवानी यानी मां दुर्गा की पूजा की जाती है। साथ ही मां दुर्गा के निमित्त व्रत उपवास भी रखा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि मासिक दुर्गाष्टमी के दिन व्रत उपवास करने से साधक को अश्विन माह की अष्टमी के समतुल्य होता पुण्य फल प्राप्त होता है। आइए, मासिक दुर्गाष्टमी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व जानते हैं-

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    दुर्गाष्टमी पूजा शुभ मुहूर्त

    इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त दिन भर है, क्योंकि अष्टमी 27 अप्रैल को दोपहर 1 बजकर 38 मिनट से शुरू होकर 28 अप्रैल को शाम 4 बजकर 01 मिनट तक है। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। अतः साधक 28 अप्रैल को मां आदिशक्ति की पूजा-उपासना कर सकते हैं।

    पूजा विधि

    मासिक दुर्गाष्टमी के दिन ब्रह्म बेला में उठकर सबसे पहले जगत जननी को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। इसके बाद घर की अच्छी तरह से साफ-सफाई करें। तदोपरांत, स्नान-ध्यान से निवृत होकर आचमन कर खुद को शुद्ध करें और व्रत संकल्प लें। अब पूजा गृह में एक चौकी पर मां दुर्गा की प्रतिमा अथवा तस्वीर स्थापित कर षोडशोपचार करें। मां दुर्गा को लाल रंग अति प्रिय है। अतः पूजा में उन्हें लाल पुष्प और लाल फल अवश्य भेंट करें। साथ ही सोलह श्रृंगार और लाल चुनरी भी चढ़ाएं। अब मां दुर्गा की पूजा धूप-दीप, दीपक आदि से करें। पूजा करते समय दुर्गा चालीसा का पाठ करें और निम्न मंत्र का जाप करें-

    सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सवार्थ साधिके।

    शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते॥

    या देवी सर्वभूतेषु मां दुर्गा-रूपेण संस्थिता।

    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

    अंत में आरती अर्चना सुख, शांति, यश, कीर्ति और वैभव की कामना करें। दिनभर उपवास रखें। संध्याकाल में आरती करने के बाद फलाहार करें। अगले दिन स्नान-ध्यान कर रोजाना की तरह पूजा करें। इसके बाद अन्न दान कर व्रत खोलें।

    डिस्क्लेमर-''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।''

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