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    Kark Sankranti 2023 Date: सावन महीने में कब है कर्क संक्रांति? जानें-शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं सूर्य मंत्र

    Kark Sankranti 2023 Date दैनिक पंचांग के अनुसार कर्क संक्रांति का पुण्य काल दोपहर 12 बजकर 27 मिनट से लेकर संध्याकाल 07 बजकर 21 मिनट तक है। कुल मिलाकर 6 घंटे 45 मिनट का पुण्य काल है। इस अवधि में पूजा जप तप और दान कर सकते हैं। वहीं महा पुण्य काल सन्ध्याकाल 05 बजकर 03 मिनट से संध्याकाल 07 बजकर 21 मिनट तक है।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Wed, 05 Jul 2023 05:16 PM (IST)
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    Kark Sankranti 2023 Date: सावन महीने में कब है कर्क संक्रांति? जानें-शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं सूर्य मंत्र

    नई दिल्ली, आध्यात्म डेस्क | Kark Sankranti 2023 Date: हिन्दू पंचांग के अनुसार, 16 जुलाई को कर्क संक्रांति है। वर्तमान समय में सूर्य मिथुन राशि में विराजमान हैं। ज्योतिषियों की मानें तो सूर्य देव एक राशि में 30 दिनों तक रहते हैं। इसके पश्चात, दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं। सूर्य देव का एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करना संक्रांति कहलाता है। सनातन धर्म में संक्रांति तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन पूजा, जप, तप और दान करने का विधान है। धार्मिक मान्यता है कि संक्रांति तिथि पर गंगा स्नान कर सूर्य देव की उपासना करने से अनजाने में किए हुए सारे पाप कट जाते हैं। साथ ही आय, आयु और सौभाग्य में वृद्धि होती है। वहीं, दान करने से जातक को अमोघ फल की प्राप्ति होती है। अतः साधक श्रद्धा भाव से संक्रांति तिथि पर सूर्य देव की पूजा-उपासना करते हैं। आइए, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं महत्व जानते हैं-

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    कर्क संक्रांति तिथि

    दैनिक पंचांग के अनुसार, कर्क संक्रांति का पुण्य काल दोपहर 12 बजकर 27 मिनट से लेकर संध्याकाल 07 बजकर 21 मिनट तक है। कुल मिलाकर 6 घंटे 45 मिनट का पुण्य काल है। इस अवधि में पूजा, जप, तप और दान कर सकते हैं। वहीं, महा पुण्य काल सन्ध्याकाल 05 बजकर 03 मिनट से संध्याकाल 07 बजकर 21 मिनट तक है।

    सूर्य का राशि परिवर्तन

    ज्योतिषियों की मानें तो सावन कृष्ण चतुर्दशी तिथि यानी 16 जुलाई से कर्क संक्रांति शुरू होगी। वहीं, सूर्य का राशि परिवर्तन 17 जुलाई को प्रातः काल 05 बजकर 19 मिनट पर होगा।

    पूजा विधि

    कर्क संक्रांति के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सबसे पहले जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को प्रणाम करें। इसके पश्चात, घर की साफ-सफाई करें और गंगाजल छिड़ककर घर को शुद्ध करें। दैनिक कार्यों से निवृत होने के पश्चात गंगाजल युक्त पानी से स्नान-ध्यान करें। अब आचमन कर स्वयं को शुद्ध करें और पीले रंग का नवीन वस्त्र धारण करें। इसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें। इस समय निम्न मंत्र का उच्चारण जरूर करें।

    एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते।

    अनुकम्पय मां देवी गृहाणार्घ्यं दिवाकर।।

    तदोपरांत, भगवान विष्णु की पूजा फल, धूप-दीप, दूर्वा आदि से करें। पूजा के समय सूर्य चालीसा, सूर्य कवच का पाठ और सूर्य मंत्र का जाप करें। अंत में आरती अर्चना कर भगवान से सुख, शांति और समृद्धि की कामना करें। पूजा समापन के पश्चात, सामर्थ्य के अनुसार दान करें।

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'