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    Hariyali Teej 2023: सावन महीने में कब है हरियाली तीज? जानें-शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं महत्व

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Tue, 25 Jul 2023 10:00 AM (IST)

    Hariyali Teej 2023 शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव और माता पार्वती का पुनर्मिलन हरियाली तीज के दिन हुआ था। सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को भगवान शिव ने माता पार्वती को अर्धांगिनी रूप में स्वीकार्य किया था। अतः सावन महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज मनाई जाती है। इस व्रत को करने से विवाहित स्त्रियों को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

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    Hariyali Teej 2023: सावन महीने में कब है हरियाली तीज? जानें-शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं महत्व

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Hariyali Teej 2023: हिन्दू पंचांग के अनुसार, हर वर्ष सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज मनाई जाती है। इस प्रकार, साल 2023 में 19 अगस्त को हरियाली तीज है। इस दिन देवों के देव महादेव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही भगवान शिव और माता पार्वती के निमित्त व्रत उपवास भी रखा जाता है। हरियाली तीज का व्रत विवाहित महिलाएं और अविवाहित लड़कियां करती हैं। धार्मिक मान्यता है कि हरियाली तीज का व्रत करने से विवाहित महिलाओं को सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही पति की आयु लंबी होती है। वहीं, अविवाहित लड़कियों की शीघ्र शादी के योग बनते हैं। इस व्रत के दिन व्रती निर्जला उपवास करती हैं। आइए, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं महत्व जानते हैं-

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    शुभ मुहूर्त

    पंचांग के अनुसार, सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 18 अगस्त को रात 08 बजकर 01 मिनट पर शुरू होकर अगले दिन 19 अगस्त को रात 10 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। अतः 19 अगस्त को हरियाली तीज मनाई जाएगी।

    महत्व

    सनातन धर्म शास्त्र शिव पुराण के अनुसार, भगवान शिव और माता पार्वती का पुनर्मिलन हरियाली तीज के दिन हुआ था। सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को भगवान शिव ने माता पार्वती को अर्धांगिनी रूप में स्वीकार्य किया था। अतः सावन महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज मनाई जाती है। इस व्रत को करने से विवाहित स्त्रियों को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

    पूजा विधि

    हरियाली तीज के दिन ब्रह्म बेला में उठें और भगवान शिव और माता पार्वती को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। अब घर की साफ-सफाई करें और गंगाजल छिड़ककर घर को शुद्ध करें। इसके पश्चात, गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें और लाल रंग का वस्त्र धारण करें। अब हथेली में जल लेकर आचमन करें और अपने आप को पवित्र करें। तदोउपरांत, एक चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाकर मिट्टी से बनी भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें। अब पंचोपचार कर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें। इस समय माता पार्वती को सोलह श्रृंगार भेंट करें। विधिवत फल, फूल, धूप-दीप, अक्षत, दूर्वा, सिंदूर आदि चीजों से करें। पूजा के अंत में आरती-अर्चना कर सुख, समृद्धि और पति की लंबी आयु हेतु कामना करें। इसके पश्चात, निर्जला उपवास करें। संध्याकाल में आरती अर्चना करें। अगले दिन पूजा-पाठ संपन्न कर व्रत खोलें।

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'