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    When is Chaitra Navratri 2019: जानें इस चैत्र नवरात्रि की क्या है तिथि और दिन

    By Molly SethEdited By:
    Updated: Tue, 02 Apr 2019 05:09 PM (IST)

    चैत्र नवरात्रि मां दुर्गा को समर्पित होती है और प्रतिपदा से नवमी तक माता के नौ स्वरूपों की पूजा अर्चना और उपवास कर माता का आशीर्वाद किया जाता है।

    When is Chaitra Navratri 2019: जानें इस चैत्र नवरात्रि की क्या है तिथि और दिन

     कब है चैत्र नवरात्रि 

    चैत्र नवरात्रि के लिये घटस्थापना चैत्र प्रतिपदा को होती है जो कि हिन्दू कैलेण्डर का पहला दिवस होता है। अतः साल के प्रथम दिन से अगले नौ दिनों तक माता की पूजा कर वर्ष का शुभारम्भ होता है। चैत्र नवरात्रि को वसन्त या वासंतिक नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है। भगवान राम का जन्मदिवस चैत्र नवरात्रि के अन्तिम दिन पड़ता है इसीलिए इनको राम नवरात्रि भी कहा जाता है। मां दुर्गा की पूजा का ये पर्व इस बार 6 अप्रैल 2019 शनिवार से शुरू हो रहा है, जो 14 अप्रैल को राम नवमी के त्योहार के साथ सम्पन्न पूर्ण होगा। पंडित दीपक पांडे के अनुसार, इस बार नवरात्रि 8 दिनों की हैं आैर देवी मां इस वर्ष घोड़े पर सवार होकर आयेंगी। ज्योतिष के अनुसार इसका फल छत्रभंग होता है। नवरात्रि के पर्व पर देवी के नौ शक्ति रूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, आैर सिद्धिदात्री की पूजा होती है। 

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    हिंदू नववर्ष आरंभ 

    पंचांग के अनुसार चैत्र नवरात्र से हिंदू नववर्ष का प्रारंभ भी माना जाता है। पुराणों में बताया गया है कि चैत्र नवरात्रि से पहले मां दुर्गा का अवतरण हुआ था, इसी के बारे में बताते हुए ब्रह्म पुराण में कहा गया है कि देवी ने ही ब्रह्माजी को सृष्टि निर्माण करने के लिए कहा। इन्ही नवरात्रों के तीसरे दिन भगवान विष्णु का मत्स्य अवतार हुआ था, और श्रीराम अवतार भी चैत्र नवरात्र में ही हुआ था। 

    देवी पूजा को समर्पित नौ दिन 

    चैत्र नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के नौ स्वरूपों को समर्पित होते हैं। शरद नवरात्रि की तरह ही सभी अनुष्ठान चैत्र नवरात्रि में भी किये जाते हैं। दोनों नवरात्रि की घटस्थापना पूजा विधि समान ही होती है। उत्तरी भारत में जहां चैत्र नवरात्रि प्रचलित है, वहीं महाराष्ट्र में इसकी शुरुआत गुड़ी पड़वा के तौर पर और आन्ध्र प्रदेश व कर्नाटक में उगादी के नाम से होती है। ज्योतिष की दृष्टि से भी इन्हें महत्वपूर्ण माना गया है क्योंकि इसी अवधि में सूर्य का राशि परिर्वतन होता है। माना जाता है कि चैत्र नवरात्रि के समय मां दुर्गा स्वयं धरती पर आती हैं, इसलिए उनकी पूजा से इच्छित फल की प्राप्ति होती है।