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    Vishnu Chalisa Lyrics: गुरुवार के दिन जरूर करें विष्णु चालीसा का पाठ, प्रसन्न होंगे जगत के पालनहार

    Updated: Thu, 18 Dec 2025 10:30 AM (IST)

    हिंदू धर्म में गुरुवार का दिन भगवान विष्णु की आराधना के लिए सबसे उत्तम माना गया है। भगवान विष्णु जगत के पालनहार हैं। ऐसा माना गया है कि रोजाना या फिर ...और पढ़ें

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    Vishnu Chalisa Lyrics and significance

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। विष्णु चालीसा (Vishnu Chalisa Lyrics and significance) में भगवान विष्णु की महिमा और उनके अवतारों का वर्णिन किया गया है। मान्यता है कि जो व्यक्ति लोभ-मोह त्याग कर सच्चे मन से विष्णु चालीसा का पाठ करता है, उसके जीवन से दरिद्रता और पाप मिट जाते हैं। उसे सुख-संपत्ति, संतान सुख और अंत में मोक्ष (बैकुंठ धाम) की प्राप्ति होती है।

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    विष्णु चालीसा का पाठ (Vishnu Chalisa Lyrics)

    ''दोहा''

    विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय ।

    कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय ॥

    नमो विष्णु भगवान खरारी, कष्ट नशावन अखिल बिहारी ।

    प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी, त्रिभुवन फैल रही उजियारी ॥

    सुन्दर रूप मनोहर सूरत, सरल स्वभाव मोहनी मूरत ।

    तन पर पीताम्बर अति सोहत, बैजन्ती माला मन मोहत ॥

    शंख चक्र कर गदा विराजे, देखत दैत्य असुर दल भाजे ।

    सत्य धर्म मद लोभ न गाजे, काम क्रोध मद लोभ न छाजे ॥

    सन्तभक्त सज्जन मनरंजन, दनुज असुर दुष्टन दल गंजन ।

    सुख उपजाय कष्ट सब भंजन, दोष मिटाय करत जन सज्जन ॥

    पाप काट भव सिन्धु उतारण, कष्ट नाशकर भक्त उबारण ।

    करत अनेक रूप प्रभु धारण, केवल आप भक्ति के कारण ॥

    धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा, तब तुम रूप राम का धारा ।

    भार उतार असुर दल मारा, रावण आदिक को संहारा ॥

    आप वाराह रूप बनाया, हिरण्याक्ष को मार गिराया ।

    धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया, चौदह रतनन को निकलाया ॥

    अमिलख असुरन द्वन्द मचाया, रूप मोहनी आप दिखाया ।

    देवन को अमृत पान कराया, असुरन को छवि से बहलाया ॥

    कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया, मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया ।

    शंकर का तुम फन्द छुड़ाया, भस्मासुर को रूप दिखाया ॥

    वेदन को जब असुर डुबाया, कर प्रबन्ध उन्हें ढुढवाया ।

    मोहित बनकर खलहि नचाया, उसही कर से भस्म कराया ॥

    असुर जलन्धर अति बलदाई, शंकर से उन कीन्ह लड़ाई ।

    हार पार शिव सकल बनाई, कीन सती से छल खल जाई ॥

    सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी, बतलाई सब विपत कहानी ।

    तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी, वृन्दा की सब सुरति भुलानी ॥

    देखत तीन दनुज शैतानी, वृन्दा आय तुम्हें लपटानी ।

    हो स्पर्श धर्म क्षति मानी, हना असुर उर शिव शैतानी ॥

    तुमने ध्रुव प्रहलाद उबारे, हिरणाकुश आदिक खल मारे ।

    गणिका और अजामिल तारे, बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे ॥

    हरहु सकल संताप हमारे, कृपा करहु हरि सिरजन हारे ।

    देखहुं मैं निज दरश तुम्हारे, दीन बन्धु भक्तन हितकारे ॥

    चाहता आपका सेवक दर्शन, करहु दया अपनी मधुसूदन ।

    जानूं नहीं योग्य जब पूजन, होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन ॥

    शीलदया सन्तोष सुलक्षण, विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण ।

    करहुं आपका किस विधि पूजन, कुमति विलोक होत दुख भीषण ॥

    करहुं प्रणाम कौन विधिसुमिरण, कौन भांति मैं करहु समर्पण ।

    सुर मुनि करत सदा सेवकाई, हर्षित रहत परम गति पाई ॥

    दीन दुखिन पर सदा सहाई, निज जन जान लेव अपनाई ।

    पाप दोष संताप नशाओ, भव बन्धन से मुक्त कराओ ॥

    सुत सम्पति दे सुख उपजाओ, निज चरनन का दास बनाओ ।

    निगम सदा ये विनय सुनावै, पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै ॥

    ॥ इति श्री विष्णु चालीसा ॥

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    (AI Generated Image)

    विष्णु चालीसा का संक्षिप्त अर्थ व सार -

    1. भगवान के स्वरूप का वर्णन: चालीसा की शुरुआत में भगवान विष्णु के सुंदर और दिव्य रूप का वर्णन किया गया है। वे क्षीरसागर में शेषनाग की शैया पर विश्राम करते हैं और उनके चार हाथों में शंख, चक्र, गदा और पद्म (कमल) सुशोभित हैं।

    2. जगत के पालनहार: भगवान विष्णु ही इस सृष्टि के पालनहार हैं। वे ही जीव-जंतुओं को भोजन और जीवन देते हैं। वे दीनों के रक्षक हैं और अपने भक्तों के कष्टों को तुरंत दूर करते हैं।

    3. प्रमुख अवतारों का वर्णन: चालीसा में विष्णु जी के विभिन्न अवतारों और उनके द्वारा किए गए कल्याणकारी कार्यों का उल्लेख है।

    4. विष्णु चालीसा का मूल भाव यह है कि "हे प्रभु! आप सर्वशक्तिमान और दयालु हैं। जैसे आपने प्रह्लाद और ध्रुव जैसे भक्तों का उद्धार किया, वैसे ही हमारे पापों को क्षमा करें और हमें अपनी शरण में लें।

    विष्णु चालीसा से जुड़े सामान्य प्रश्न (FAQs)

    प्रश्न 1. विष्णु चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?
    उत्तर: विष्णु चालीसा का पाठ प्रतिदिन करना श्रेष्ठ है, लेकिन यदि संभव न हो तो गुरुवार (Thursday) और एकादशी (Ekadashi) के दिन इसका पाठ अवश्य करना चाहिए। ब्रह्म मुहूर्त यानी सुबह 4 से 6 बजे के बीच का समय या फिर संध्याकाल इसके पाठ के लिए उत्तम है।

    प्रश्न 2. क्या महिलाएं भी विष्णु चालीसा का पाठ कर सकती हैं?
    उत्तर: जी हां, महिलाएं भी निसंकोच विष्णु चालीसा का पाठ कर सकती हैं। केवल मासिक धर्म (Periods) के दौरान पूजा-पाठ से बचना चाहिए।

    प्रश्न 4. क्या तुलसी के बिना विष्णु पूजा अधूरी है?
    उत्तर: जी हां, भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी का होना अनिवार्य माना गया है। बिना तुलसी के विष्णु जी का भोग अधूरा है।

    प्रश्न 5. क्या शाम को विष्णु चालीसा पढ़ सकते हैं?
    उत्तर: हां, शाम की पूजा में विष्णु चालीसा का पाठ कर सकते हैं। बस ध्यान रखें कि मन और शरीर पवित्र हो।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।