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    Vinayak Chaturthi 2024: विनायक चतुर्थी पर गणपति बप्पा को ऐसे करें प्रसन्न, जीवन में होगा खुशियों का आगमन

    Updated: Mon, 06 May 2024 08:00 PM (IST)

    किसी भी शुभ या मांगलिक कार्य की शुरुआत करने से पहले गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना की जाती है। हर महीने शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी मनाई जाती है। चतुर्थी तिथि गणपति बप्पा को समर्पित है। इस दिन भगवान गणेश जी की विधिपूर्वक पूजा और व्रत करने का विधान है। इस बार विनायक चतुर्थी का त्योहार 11 मई को मनाया जाएगा।

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    Vinayak Chaturthi 2024: विनायक चतुर्थी पर गणपति बप्पा को ऐसे करें प्रसन्न, जीवन में होगा खुशियों का आगमन

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Ganesh Stotram: हर महीने शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी मनाई जाती है। चतुर्थी तिथि गणपति बप्पा को समर्पित है। इस दिन भगवान गणेश जी की विधिपूर्वक पूजा और व्रत करने का विधान है। इस बार विनायक चतुर्थी का त्योहार 11 मई को मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यता है कि विनायक चतुर्थी पर भगवान गणेश जी की पूजा करने से साधक को विशेष फल की प्राप्ति होती है। विनायक चतुर्थी पर पूजा के दौरान सच्चे मन से गणेश स्तोत्र का पाठ जरूर करना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से जीवन में खुशियों का आगमन होता है। आइए पढ़ते हैं गणेश स्तोत्र।

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    गणेश स्तोत्र (Ganesh Stotram)

    शृणु पुत्र महाभाग योगशान्तिप्रदायकम् ।

    येन त्वं सर्वयोगज्ञो ब्रह्मभूतो भविष्यसि ॥

    चित्तं पञ्चविधं प्रोक्तं क्षिप्तं मूढं महामते ।

    विक्षिप्तं च तथैकाग्रं निरोधं भूमिसज्ञकम् ॥

    तत्र प्रकाशकर्ताऽसौ चिन्तामणिहृदि स्थितः ।

    साक्षाद्योगेश योगेज्ञैर्लभ्यते भूमिनाशनात् ॥

    चित्तरूपा स्वयंबुद्धिश्चित्तभ्रान्तिकरी मता ।

    सिद्धिर्माया गणेशस्य मायाखेलक उच्यते ॥

    अतो गणेशमन्त्रेण गणेशं भज पुत्रक ।

    तेन त्वं ब्रह्मभूतस्तं शन्तियोगमवापस्यसि ॥

    इत्युक्त्वा गणराजस्य ददौ मन्त्रं तथारुणिः ।

    एकाक्षरं स्वपुत्राय ध्यनादिभ्यः सुसंयुतम् ॥

    तेन तं साधयति स्म गणेशं सर्वसिद्धिदम् ।

    क्रमेण शान्तिमापन्नो योगिवन्द्योऽभवत्ततः ॥

    गणेश गायत्री मंत्र

    ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

    ॐ महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

    ॐ गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

    सिद्धि प्राप्ति हेतु मंत्र

    श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा ॥

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    डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।