Sankashti Chaturthi 2023: संकष्टी चतुर्थी पर हर्षण योग समेत बन रहे हैं ये संयोग, प्राप्त होगा कई गुना फल
Vighnaraja Sankashti Chaturthi 2023 इस दिन विघ्नहर्ता गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत उपवास रखा जाता है। इस व्रत के पुण्य प्रताप से साधक को सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त दुख और संकट दूर हो जाते हैं। अतः साधक श्रद्धा भाव से भगवान गणेश की पूजा-उपासना करते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली | Vighnaraja Sankashti Chaturthi 2023: सनातन पंचांग के अनुसार, 2 अक्टूबर को विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी है। यह पर हर वर्ष आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस दिन विघ्नहर्ता गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत उपवास रखा जाता है। इस व्रत के पुण्य प्रताप से साधक को सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त दुख और संकट दूर हो जाते हैं। अतः साधक श्रद्धा भाव से भगवान गणेश की पूजा-उपासना करते हैं। ज्योतिषियों की मानें तो विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी पर दुर्लभ हर्षण योग समेत कई अद्भुत और शुभ संयोग बन रहे हैं। इस दौरान पूजा करने से साधक को कई गुना अधिक फल प्राप्त होता है। आइए, शुभ योग के बारे में जानते हैं-
शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, आश्विन माह की चतुर्थी 02 अक्टूबर को सुबह 07 बजकर 36 मिनट से शुरू हुई है और अगले दिन यानी 03 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 11 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। अतः 02 अक्टूबर को विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी।
हर्षण योग
विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी के दिन हर्षण योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में भगवान गणेश की पूजा करने से साधक को अमोघ फल की प्राप्ति होती है। ज्योतिष हर्षण योग में शुभ कार्य करने की सलाह देते हैं। हालांकि, पितृ पक्ष में शुभ काम नहीं किया जाता है। अतः हर्षण योग में आप गणपति बप्पा की पूजा विधि विधान से कर सकते हैं।
सोमवार
विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी सोमवार के दिन है। सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दिन शिव परिवार की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
सोमवार
विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी पर बव करण का भी निर्माण हो रहा है। इस दौरान भगवान गणेश की पूजा करने से साधक की इच्छाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही दुख और संकट दूर हो जाते हैं।
पंचांग
ब्रह्म मुहूर्त - 04 बजकर 37 मिनट से 05 बजकर 26 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 29 मिनट से 02 बजकर 56 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 06 मिनट से 06 बजकर 31 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त - 11 बजकर 44 मिनट से 12 बजकर 30 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 47 मिनट से 12 बजकर 34 मिनट तक
अमृत काल - दोपहर 01 बजकर 49 मिनट से 15 बजकर 21 मिनट तक
अशुभ समय
राहुकाल - दोपहर 07 बजकर 43 मिनट से 09 बजकर 12 मिनट तक
गुलिक काल - दोपहर 01 बजकर 39 मिनट से 03 बजकर 08 मिनट तक
दिशा शूल - पूर्व
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 14 मिनट पर
सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 06 मिनट पर
डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'
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