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    Vat Savitri Vrat 2023: ज्येष्ठ मास में दो बार रखा जाता है वट सावित्री व्रत, जानिए क्या है कारण?

    By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo Mishra
    Updated: Thu, 18 May 2023 10:16 AM (IST)

    Vat Savitri Vrat 2023 ज्येष्ठ मास में वट सावित्री व्रत को प्रमुख व्रतों में गिना जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। ऐसा करने से जीवन में आ रही बाधाएं दूर हो जाती है।

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    Vat Savitri Vrat 2023: ज्येष्ठ मास में दो दिन क्यों रखा जाता है वट सावित्री व्रत?

    नई दिल्ली, आध्यात्म डेस्क | Vat Savitri Vrat 2023: ज्येष्ठ मास में वट सावित्री व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। यह व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या और पूर्णिमा तिथि के दिन रखा जाता है। स्कंध एवं भविष्य पुराण के अनुसार, वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन रखा जाता है। लेकिन भारत के कई क्षेत्रों में यह व्रत अमावस्या के दिन भी रखा जाता है। इन दोनों दिनों में सिर्फ तिथि का फर्क है, पूजा-विधि व महत्व एक समान हैं। पूर्णिमानता पंचांग के अनुसार वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि के दिन रखा जाता है और अमानता पंचांग के अनुसार यह व्रत पूर्णिमा तिथि के दिन रखा जाता है।

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    वट सावित्री व्रत अमावस्या तिथि

    हिंदू पंचांग में बताया गया है कि अमावस्या तिथि की शुरुआत 18 मई 2023 को रात्रि 09:42 पर होगी और इस तिथि की समाप्ति 19 मई 2023 रात्रि 09:22 पर हो जाएगी। ऐसे में वट सावित्री अमावस्या व्रत 19 मई 2023, शुक्रवार के दिन रखा जाएगा। अमावस्या तिथि के दिन व्रत मुख्यतः बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, पंजाब, हरियाणा में अधिक प्रचलित है।

    वट सावित्री व्रत पूर्णिमा तिथि

    पंचांग में बताया गया है कि पूर्णिमा तिथि का शुभारंभ 03 जून 2023 सुबह 11:16 पर होगा और इस तिथि का समापन 4 जून 2023 सुबह 09:11 पर हो जाएगा। ऐसे में वट सावित्री पूर्णिमा व्रत 03 जून 2023, शनिवार के दिन रखा जाएगा। पूर्णिमा तिथि के दिन वट सावित्री व्रत विशेष रूप से महाराष्ट्र, गुजरात सहित दक्षिण भारत के क्षेत्रों में प्रचलित है।

    वट सावित्री व्रत महत्व

    वट सावित्री व्रत अमावस्या और पूर्णिमा तिथि में विशेष अंतर नहीं है। इन दोनों दिनों पर सुहागिन महिलाएं वट अर्थात बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं और वृक्ष के चारों ओर रक्षा सूत्र बांधती हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश वास करते हैं। ऐसे में वट सावित्री व्रत रखने से पति की अकाल मृत्यु का भय दूर जाता है। शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि वट सावित्री व्रत रखने से पारिवारिक जीवन में भी सुख एवं समृद्धि आती है।

    डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।