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    Vat Savitri Vrat 2020: जानें, वट सावित्री व्रत की पूजा विधि और उससे जुड़ी सामग्रियां

    By Umanath SinghEdited By:
    Updated: Sat, 16 May 2020 04:27 PM (IST)

    Vat Savitri Vrat 2020 22 मई को वट सावित्री व्रत है। इस दिन महिलाएं अपने सुहाग के लिए व्रत रखती हैं। ऐसी मान्यता है कि वट सावित्री व्रत को करने से पति ...और पढ़ें

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    Vat Savitri Vrat 2020: जानें, वट सावित्री व्रत की पूजा विधि और उससे जुड़ी सामग्रियां
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    नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Vat Savitri Vrat 2020: 22 मई को वट सावित्री व्रत है। इस दिन महिलाएं अपने सुहाग के लिए व्रत रखती हैं। ऐसी मान्यता है कि वट सावित्री व्रत को करने से पति दीर्घायु होता है। इस व्रत में नियम निष्ठा का विशेष ख्याल रखना पड़ता है। ऐसे में यह जान लेना जरूरी है कि वट सावित्री व्रत पूजा में किन चीजों की जरूरत पड़ती है। अगर आपको पता नहीं है, तो आइए जानते हैं-

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    वट सावित्री पूजन सामग्रियां निम्न हैं-

    -वट सावित्री व्रत पूजा के लिए पवित्र तथा साफ कपड़े से बनी माता सावित्री की मूर्ति लें।

    -बांस से बना पंखा,

    -बरगद पेड़ में परिक्रमा के लिए लाल धागा,

    -मिट्टी से बनी कलश और दीप,

    -फल में आप मौसमी फलों जैसे आम, केला, लीची, सेव, नारंगी आदि चढ़ा सकते हैं।

    -पूजा के लिए लाल वस्त्र ( कपड़े ) लें,

    -सिंदूर, कुमकुम और रोली

    -घर पर चढ़ावे के लिए पूरी पकवान बनांए

    -बरगद का फल-अक्षत और हल्दी-सोलह श्रृंगार

    -जलाभिषेक के लिए पीतल का पात्र

    इस तरह करें वट सावित्री पूजन

    इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठ घर की साफ-सफाई करें। फिर स्नान-ध्यान कर पवित्र और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इस दिन सोलह श्रृंगार करना अति शुभ माना जाता है। इसके बाद सबसे पहले सूर्यदेव को अर्घ्य दें। तत्पश्चात, सभी पूजन सामग्रियों को किसी पीतल के पात्र अथवा बांस से बने टोकरी में रख नजदीक के बरगद पेड़ के पास जाकर उनकी पूजा करें। पूजा की शुरुआत जलाभिषेक से करें।

    फिर माता सावित्री को वस्त्र और सोलह श्रृंगार अर्पित करें। अब फल फूल और पूरी पकवान सहित बरगद के फल चढ़ाएं और पंखा झेलें। इसके बाद रोली से अपनी क्षमता के अनुसार बरगद पेड़ की परिक्रमा करें। इसके बाद माता सावित्री को दंडवत प्रणाम कर उनकी अमर कथा सुनें। इसके लिए आप स्वयं कथा का पाठ कर सकते हैं।

    इसके लिए आप पंडित जी या वरिष्ठ महिलाओं के समक्ष भी व्रत-कथा सुन सकती हैं। जब कथा समाप्त हो जाए प्रार्थना कर पंडित जी को दान-दक्षिणा दें। इसके बाद दिन भर निर्जला उपवास रखें और शाम में आरती अर्चना के बाद फलाहार करें। अगले दिन नित्य दिनों की तरह पूजा सम्पन्न कर व्रत खोलें।