Vasudeva Dwadashi 2019: आज होती है श्रीकृष्ण की पूजा, पुत्र प्राप्ति से लेकर होते हैं ये लाभ
Vasudeva Dwadashi 2019 देवशयनी एकादशी के अगले दिन यानी आषाढ़ शुक्ल द्वादशी को वासुदेव द्वादशी व्रत होता है। इस वर्ष यह 13 जुलाई दिन शनिवार को है। ...और पढ़ें

Vasudeva Dwadashi 2019: देवशयनी एकादशी के अगले दिन यानी आषाढ़ शुक्ल द्वादशी को वासुदेव द्वादशी व्रत होता है। इस वर्ष यह 13 जुलाई दिन शनिवार को है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मणी की पूजा के साथ भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की भी पूजा-अर्चना की जाती है।
भगवान विष्णु के श्रीकृष्णावतार में उनके पिता वासुदेव और माता देवकी थीं। श्रीकृष्ण को भगवान वासुदेव भी कहा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, वासुदेव द्वादशी को भगवान वासुदेव के विभिन्न नामों एवं उनके व्यूहों के साथ सिर से लेकर चरण तक के सभी अंगों का पूजन होता है।
वासुदेव द्वादशी व्रत का महत्व
जब कंस ने वासुदेव और देवकी को जेल में कैद कर रखा था, तब नारद मुनि ने उन दोनों को वासुदेव द्वादशी व्रत करने का सुझाव दिया था। तब श्रीहरि की कृपा से देवकी ने भगवान श्रीकृष्ण को जन्म दिया था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वासुदेव द्वादशी का व्रत करने से व्यक्ति को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है और नष्ट हुआ राज्य दोबारा मिल जाता है।
व्रत एवं पूजा विधि
द्वादशी के दिन सूर्योदय से पूर्व दैनिक क्रियाओं से निवृत्त होकर स्नान करें। साफ वस्त्र पहनें और पूजा घर में चौकी पर पीले वस्त्र बिछाकर भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मणी की प्रतिमा को पवित्र जल से स्नान कराने के बाद स्थापित करें। फिर उनको चंदन, अक्षत्, शहद, धूप आदि अर्पित करें। फल और मिठाई का भोग लगाएं। फिर अंत में आरती करें।
इस दिन भगवान विष्णु की पंचामृत से पूजा भी की जाती है। इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करने से सभी कष्टों का निवारण होता है।

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