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Varalakshmi Puja Vidhi: आज करें वरलक्ष्मी की पूजा, संतान प्राप्ति के लिए है महत्वपूर्ण

Varalakshmi Puja Vidhi आज सावन के आखिरी शुक्रवार के दिन माता लक्ष्मी के स्वरूप वरलक्ष्मी को पूजा जाता है। हिंदू धर्म में वरलक्ष्मी व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता रहा है। इस बार वरलक्ष्मी व्रत के दिन सावन प्रदोष सर्वार्थसिद्धि योग और रवियोग का शुभ संयोग बन रहा है।

By Ritesh SirajEdited By: Published: Fri, 20 Aug 2021 09:30 AM (IST)Updated: Fri, 20 Aug 2021 09:30 AM (IST)
Varalakshmi Puja Vidhi: आज करें वरलक्ष्मी की पूजा, संतान प्राप्ति के लिए है महत्वपूर्ण
Varalakshmi Puja Vidhi: आज राशि अनुसार करें वरलक्ष्मी की पूजा, संतान प्राप्ति के लिए है महत्वपूर्ण

Varalakshmi Vrat Date Aur Puja Vidhi : आज सावन के आखिरी शुक्रवार के दिन माता लक्ष्मी के स्वरूप वरलक्ष्मी को पूजा जाता है। यह व्रत हर साल के सावन पूर्णिमा से पहले पड़ने वाले शुक्रवार को मनाया जाता है। हिंदू धर्म में वरलक्ष्मी व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। इस बार वरलक्ष्मी व्रत के दिन सावन प्रदोष, सर्वार्थसिद्धि योग और रवि योग का शुभ संयोग बन रहा है। इसी वजह से यह वरलक्ष्मी का व्रत अत्याधिक ​सिद्धिदायक हो गया है। माता वरलक्ष्मी की पूजा से व्यक्ति को संतान सुख की प्राप्ति और सभी प्रकार के आर्थिक संकट से छुटकारा मिलता है। आइये जानते हैं वरलक्ष्मी व्रत की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त : 

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पूजा के शुभ मुहूर्त 20 अगस्त दिन शुक्रवार

सिंह लग्न पूजा मुहूर्त, सुबह 05 बजकर 53 मिनट से 07 बजकर 59 मिनट तक 

वृश्चिक लग्न पूजा मुहूर्त, दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से 02 बजकर 54 मिनट तक

कुम्भ लग्न पूजा मुहूर्त, शाम 06 बजकर 40 से रात्रि 08 बजकर 07 मिनट तक

वृषभ लग्न पूजा मुहूर्त, रात्रि 11 बजकर 40 से रात्रि 01 बजकर 03 मिनट तक

अलग-अलग राशियों के लिए अलग-अलग मुहूर्त है हालांकि राहुकाल को छोड़कर किसी भी समय पूजा किया जा सकता है। 

वरलक्ष्मी पूजा विधि

इस दिन व्रत का पालन करने वाली महिलाओं और पुरुषों को प्रातः काल स्नान कर लेना चाहिए। सबसे पहले पूजा वाले स्थान पर गंगाजल छिड़ककर पूजास्थल को पवित्र कर लेना चाहिए। उसके उपरांत व्रत रखने का संकल्प करना चाहिए। मां लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्ति को लाल कपड़े के ऊपर स्थापित कर तदपश्चात अक्षत के ऊपर कलश में जल भरकर रख लें और कलश को चारों तरफ से चंदन लगा लेना चाहिए। इसके बाद लक्ष्मी और गणेश दोनों लोगों को पूजा का समान अर्पित करें। पूजा के बाद माता वरलक्ष्मी व्रत की कथा का पाठ अवश्य करना चाहिए। आरती करके सभी भक्तजनों के बीच प्रसाद बंटवाना अनिवार्य होता है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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