Vaishakh Purnima Vrat 2023: वैशाख मास में पूर्णिमा व्रत कब? जानिए तिथि शुभ मुहूर्त और महत्व
Vaishakh Purnima 2023 हिन्दू धर्म में वैशाख पूर्णिमा व्रत का विशेष महत्व है। इस विशेष दिन पर स्नान-दान और पूजा-पाठ का विशेष महत्व है। शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन स्नान-दान करने से सभी करने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है।

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Vaishakh Purnima Vrat 2023: हिंदू धर्म में सभी तिथियों में पूर्णिमा तिथि को श्रेष्ठ माना जाता है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान और पूजा-पाठ करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है। बता दें कि वैशाख मास में पूर्णिमा तिथि 5 मई 2023, शुक्रवार के दिन पड़ रही है। हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख पूर्णिमा के दिन नरसिंह जयंती और बुद्ध जयंती भी मनाई जाएगी। आइए जानते हैं वैशाख पूर्णिमा का मुहूर्त और महत्व।
वैशाख पूर्णिमा 2023 मुहूर्त (Vaishakh Purnima Vrat 2023 Shubh Muhurat)
हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का शुभारंभ 4 मई 2023 को मध्य रात्रि 11 बजकर 44 मिनट पर होगा और इस तिथि का समापन 5 मई 2023 को रात्रि 11 बजकर 30 मिनट पर होगा। ऐसे में वैशाख पूर्णिमा व्रत 5 मई 2023, शुक्रवार के दिन रखा जाएगा। इस विशेष दिन पर सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है, जो सुबह 09 बजकर 17 मिनट मिनट तक रहेगा। साथ ही इस दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04 बजकर 12 मिनट से सुबह 04 बजकर 55 मिट तक रहेगा।
वैशाख पूर्णिमा 2023 क्यों है खास? (Vaishakh Purnima 2023 Chandra Grahan)
बता दें कि वैशाख पूर्णिमा के दिन वर्ष 2023 का पहला चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। यह चंद्र ग्रहण उपछाया चंद्र ग्रहण होगा, जिस कारण से भारत में सूतक काल मान्य नहीं होगा। पंचांग के अनुसार, उपछाया चंद्रग्रहण का पहला स्पर्श रात्रि 10 बजकर 45 मिनट तक रहेगा और अंतिम स्पर्श रात्रि 1 बजे तक रहेगा यानी चंद्र ग्रहण की अवधि 4 घंटे 15 मिनट तक रहेगी।
वैशाख पूर्णिमा 2023 महत्व (Vaishakh Purnima 2023 Importance)
वैशाख पूर्णिमा का न केवल हिंदू धर्म बल्कि बौद्ध धर्म में भी विशेष महत्व है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस दिन महात्मा बुद्ध की जयंती मनाई जाती है। महात्मा बुद्ध को भगवान विष्णु का 9वां अवतार भी बताया गया है, जिस कारण से हिंदू धर्म में भी इस दिन विशेष पूजा पाठ की जाती है। साथ ही धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वैशाख पूर्णिमा व्रत रखने से साधकों को सुख, समृद्धि एवं ऐश्वर्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन रात्रि के समय धूप, दीप, पुष्प और अन्न आदि से चंद्रमा की पूजा विशेष रूप से की जाती है और उन्हें जल अर्पित किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से घर परिवार में खुशियां आती हैं।
डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।