Vaishakh Kalashtami 2023: वैशाख माह में भगवान कालभैरव की पूजा कब? जानिए कालाष्टमी की तिथि, मुहूर्त और विधि
Vaishakh Kalashtami 2023 सनातन धर्म में काल भैरव देव की पूजा को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन काल भैरव को समर्पित कालाष्टमी व्रत रखा जाता है। आइए जानते हैं कालाष्टमी की तिथि और पूजा मुहूर्त।
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Vaishakh Kalashtami 2023 Date: हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन काल भैरव को समर्पित कालाष्टमी व्रत रखा जाता है। इस विशेष दिन पर भगवान शिव के रुद्रावतार भैरवनाथ की पूजा की जाती है। बता दें कि भगवान भैरव का सबसे सौम्य रूप बटुक भैरव है और उग्र रूप में काल भैरव देव हैं।
शास्त्रों में काल भैरव को दंडाधिकारी भी कहा जाता है, क्योंकि यह साधक को कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं। मान्यता है कि कालाष्टमी के दिन भगवान काल भैरव की उपासना करने से सभी सांसारिक बाधाएं, रोग, दोष और शोक नष्ट हो जाते हैं। साथ ही व्यक्ति को जीवन में हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है। आइए जानते हैं वैशाख मास में किस दिन रखा जाएगा, वैशाख कालाष्टमी व्रत, पूजा-मुहूर्त और विधि।
वैशाख कालाष्टमी 2022 तिथि और शुभ मुहूर्त (Vaishakh Kalashtami 2023 Shubh Muhurat)
हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 13 अप्रैल को सुबह 03 बजकर 44 मिनट पर प्रारंभ होगी और 14 अप्रैल को सुबह 01 बजकर 34 मिनट पर तिथि का समापन हो जाएगा। उदया तिथि को ध्यान में रखते हुए काल भैरव भगवान की पूजा 13 अप्रैल 2023, गुरुवार के दिन की जाएगी। इस दिन अमृत काल सुबह 06 बजकर 10 मिनट से सुबह 07 बजकर 41 मिनट तक रहेगा और शिव योग दोपहर 12 बजकर 34 मिनट तक रहेगा। मान्यता है कि शिव योग की अवधि में देवी-देवताओं की उपासना करने से पूजा का विशेष फल प्राप्त होता है।
वैशाख कालाष्टमी 2023 पूजा विधि (Vaishakh Kalashtami 2023 Puja Vidhi)
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वैशाख कालाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान ध्यान करें और सुबह के समय साधारण पूजा करें।
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कालाष्टमी के दिन भगवान काल भैरव की पूजा रात्रि के समय अत्यंत फलदाई होती है।
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रात्रि पूजा के समय पूजा स्थल को गंगा जल से सिक्त करें और लकड़ी की चौकी पर भगवान शिव व माता पार्वती की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
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इसके बाद गंध, पुष्प, धूप, दीप इत्यादि से पूजा करें। पूजा के दौरान भगवान काल भैरव का स्मरण करते हुए शिव जी को नारियल, इमरती और पान का भोग लगाएं।
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पूजा के अंत में भैरव चालीसा का पाठ करें और काल भैरव आरती के साथ पूजा को संपन्न करें।
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