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Utpanna Ekadashi 2023: कथा के बिना अधूरा है एकादशी व्रत, जानिए कैसे प्रकट हुईं देवी उत्पन्ना एकादशी

Utpanna Ekadashi 2023 Vrat भगवान विष्णु को समर्पित होने के कारण एकादशी तिथि को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है। इस दिन साधक भगवान विष्णु की कृपा प्राप्ति हेतु पूजा-अर्चना और व्रत करते हैं। एकादशी का व्रत बिना व्रत कथा के अधूरा माना गया है। ऐसे में आइए पढ़ते हैं उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा।

By Suman SainiEdited By: Suman SainiPublished: Wed, 06 Dec 2023 10:25 AM (IST)Updated: Wed, 06 Dec 2023 10:25 AM (IST)
Utpanna Ekadashi 2023 पढ़िए उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Utpanna Ekadashi 2023 Katha: हिंदू धर्म में उत्पन्ना एकादशी का विशेष महत्व है। जो भी साधक एकादशी व्रत की शुरुआत करना चाहता है वह इस एकादशी से अपने व्रत की शुरुआत कर सकता है। मार्गशीर्ष माह में आने वाली उत्पन्ना एकादशी का व्रत 08 दिसंबर, शुक्रवार के दिन किया जाएगा।

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उत्पन्ना एकादशी कथा (Utpanna Ekadashi Katha)

कथा के अनुसार सतयुग में एक राक्षस था जिसका नाम नाड़ीजंघ और उसके पुत्र का नाम मुर था। मुर एक बहुत ही शक्तिशाली दैत्य था, जिसने अपने पराक्रम के बल पर इंद्र से लेकर यम और अन्य देवताओं के स्थान पर कब्जा कर लिया था। ऐसे में सभी देवतागण अपनी परेशानी लेकर भगवान शिव की शरण में पहुंचे और उन्हें अपनी सारी व्यथा सुनाई। महादेव ने देवताओं को इस समस्या का हल ढूंढने के लिए प्रभु श्री हरि के पास जाने के लिए कहा। इसके बाद सभी देवता अपनी व्यथा लेकर भगवान विष्णु की शरण में पहुंचे और विस्तार से उन्हें सारी बात बताई।

10 हजार वर्षों तक चला युद्ध

देवताओं की समस्या का हल करने के लिए भगवान विष्णु मुर को पराजित करने के लिए रणभूमि में पहुंच जहां मुर देवताओं से युद्ध कर रहा था। भगवान विष्णु जी को देखते ही मुर ने उन पर भी प्रहार किया। कहा जाता है कि मुर और भगवान विष्णु का युद्ध 10 हजार वर्षों तक चला। विष्णु जी ने अनेकों प्रहार के बाद भी दैत्य मुर नहीं हारा।

इस तरह उत्पन्न हुईं एकादशी

युद्ध करते हुए जब श्री हरि थक गए तो वह बद्रिकाश्रम गुफा में जाकर विश्राम करने लगे। इसपर दैत्य मुर भी विष्णु का पीछा करते हुए उस गुफा में पहुंच गया। उस राक्षस ने भगवान पर वार करने के लिए हथियार उठाए ही थे, कि तभी भगवान विष्णु के शरीर से एक कांतिमय रूप वाली देवी प्रकट हुईं और उन्होंने मुर राक्षस का वध किया। क्योंकि इस देवी का जन्म मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को हुआ था इसलिए उनका नाम एकादशी पड़ गया। साथ ही एकादशी के दिन उत्पन्न होने के कारण इन देवी को उत्पन्ना एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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