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    Utpanna Ekadashi 2020: आज है उत्पन्ना एकादशी, जानें शुभ मुहूर्त और पारण का समय

    Utpanna Ekadashi 2020 मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी मनाई जाती है। मान्यता है कि इसी दिन देवी एकादशी अवतरित हुई थीं। इस दिन भगवान विष्णु और देवी एकादशी की पूजा-अर्चना पूरे विधि-विधान के साथ की जाती है।

    By Shilpa SrivastavaEdited By: Updated: Thu, 10 Dec 2020 07:30 AM (IST)
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    Utpanna Ekadashi 2020: आज है उत्पन्ना एकादशी, जानें शुभ मुहूर्त और पारण का समय

    Utpanna Ekadashi 2020: मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी मनाई जाती है। मान्यता है कि इसी दिन देवी एकादशी अवतरित हुई थीं। इस दिन भगवान विष्णु और देवी एकादशी की पूजा की जाती है। स्कंद पुराण के अनुसार, वर्षभर की सभी एकादशियों का महत्व वैष्णव खंड में बताया गया है। उत्पन्ना एकादशी के दिन देवी एकादशी उत्पन्न हुई थी जिसके चलते ही इस एकादशी को उत्पन्ना कहा जाता है। आइए जानते हैं इस एकादशी का शुभ मुहूर्त और पारण का समय।

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    उत्पन्ना एकादशी का शुभ मुहूर्त:

    10 दिसंबर, 2020, बृहस्पतिवार

    एकादशी तिथि प्रारम्भ- दिसम्बर 10, 2020 दोपहर 12 बजकर 51 मिनट से

    एकादशी तिथि समाप्त- दिसम्बर 11, 2020 सुबह 10 बजकर 04 मिनट पर

    उत्पन्ना एकादशी का पारण का समय:

    पारण का शुभ मुहूर्त जानने से पहले हम आपको यह बता दें कि पारण कहते किसे है। एकादशी के व्रत को समाप्त करने को पारण कहा जाता है। जो व्यक्ति एकादशी का व्रत करता है उसे व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण करना होता है। इस व्रत का पारण द्वादशी तिथि पर किया जाता है। साथ ही इस बात का ख्याल रखना अति आवश्यक होता है कि एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले ही किया जाए। अगर द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले ही खत्म हो गई है तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद किया जाता है।

    उत्पन्ना एकादशी के पारण का समय- दिसम्बर 10, 2020 दोपहर 01 बजकर 17 मिनट से लेकर दोपहर 03 बजकर 21 मिनट तक

    हरि वासर:

    व्रत का पारण हरि वासर के दौरान नहीं किया जाना चाहिए। जो लोग इस दिन का व्रत करते हैं उन्हें व्रत तोड़ने से पहले हरि वासर समाप्त होने का इंतजार करना चाहिए। द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई अवधि हरि वासर कहलाती है। कहा जाता है कि व्रत को तोड़ने का सबसे अच्छा समय प्रातःकाल का होता है। ऐसे में मध्याह्न के दौरान व्रत नहीं तोड़ना चाहिए। अगर प्रातःकाल में व्रत का पारण किसी कारणवश नहीं किया जा सका है तो व्रत का पारण मध्याह्न के बाद किया जाना चाहिए।

    उत्पन्ना एकादशी के पारण तिथि के दिन हरि वासर समाप्त होने का समय- दोपहर 03 बजकर 18 मिनट तक