Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    क्यों बांधा जाता है कलावा, विवाहित महिलाएं बाएं हाथ में क्यों बांधती हैं… पढ़िए इससे जुड़ी सब बातें

    Updated: Thu, 19 Jun 2025 01:08 PM (IST)

    कलावा बांधने का वैज्ञानिक दृष्टिकोण यह है कि इसे बांधने से यह शरीर की नसों को नियंत्रित करता है। वहीं धार्मिक मान्यताएं इसे रक्षा सूत्र मानती हैं जो हर स्थिति में इसे बंधवाने वाले व्यक्ति की रक्षा करता है। पुरुषों और अविवाहित कन्याओं को दाएं हाथ में विवाहित महिलाओं को बाएं हाथ में कलावा बांधना शुभ होता है।

    Hero Image
    Kalawa: कलावा बांधने ही नहीं, उतारने का भी होता है नियम। जानिए इसके बारे में...

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। किसी भी धार्मिक अनुष्ठान के पहले हाथ में मौली यानी कलावा बांधने का विधान है। मगर, यह कलावा क्यों बांधा जाता है। पुरुषों और कुंवारी कन्याओं के दाएं हाथ में कलावा बांधा जाता है। वहीं, विवाहित महिलाओं के बाएं हाथ में इसे क्यों बांधा जाता है?

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कलावा बांधने से क्या फायदा होता है? इसको बांधने का क्या नियम होता है? कलावा बांधlते समय कौन से मंत्र का उच्चारण करना चाहिए और कलवा उतारने के लिए शुभ दिन कौन सा होता है? यदि आपके मन में भी इस तरीके के सवाल चल रहे हैं, तो आज हम आपको इसके बारे में सारे नियम बताने जा रहे हैं। 

    समझिए वैज्ञानिक और धार्मिक कारण 

    वैज्ञानिक दृष्टिकोण की बात करें, तो कलावा बांधने से शरीर की कुछ नसें नियंत्रित होती हैं। इससे स्वास्थ्य लाभ होता है। वहीं, धार्मिक मान्यताओं की बात करें, तो कलवा एक पवित्र धागा है, जिसे रक्षा सूत्र भी कहा जाता है। यह व्यक्ति की सुरक्षा करें, इस भावना के साथ में बांधा जाता है। 

    विवाहित महिलाओं के बाएं हाथ में कलावा बना शुभ माना जाता है। दरअसल शादी के बाद में वह पति के वामांग में स्थान पाती हैं, इसलिए उनके बाएं हाथ में कलावा बांधा जाता है। यह उनके वैवाहिक जीवन में खुशियां लाता है और पति को दीर्घायु बनाता है। वहीं, पुरुषों और कन्याओं के दाएं हाथ में कलावा बांधा जाता है।

    यह भी पढ़ें- खराब घड़ी भी सही कर देगी आपका समय, बस फेंकने से पहले कर लें ये उपाय

    कलवा बंधवाने के नियम 

    कलवा बंधवाते समय अपने एक हाथ में दक्षिण लेकर मुट्ठी बंद कर लें। दूसरे हाथ को सर पर रखें। कलवा बंध जाने के बाद दक्षिण पंडित जी को दे दें। कलावे को हाथ में विषम संख्या में यानी 3 बार, 5 बार या 7 बार लपेटना चाहिए। 

    रक्षासूत्र बांधते समय "येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः। तेन त्वां अभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।" मंत्र बोलाना चाहिए। इसका अर्थ है कि जिस धागे से महान शक्तिशाली दानवेंद्र राजा बलि को बांधा गया था, उसी धागे से मैं तुम्हें बांधता हूं। हे रक्षासूत्र! तुम स्थिर रहना, स्थिर रहना।"

    कलवा खोलने के लिए सबसे शुभ दिन मंगलवार और शनिवार का होता है। कलवा खोलने के बाद में नया कलवा बनवा लेना चाहिए और उतरे हुए कलावे को पीपल के पेड़ के नीचे रख देना चाहिए या किसी बहते हुए जल में प्रवाहित कर देना चाहिए। 

    यह भी पढ़ें- Doomsday Fish: 'प्रलय की मछली' ने मचा दी सनसनी... 2011 में दिखी थी, तो जापान ने झेली थी सुनामी की तबाही

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।