Arghya to Lord Surya: नौकरी में सफलता पाने के लिए रविवार को ऐसे दें भगवान सूर्य को अर्घ्य
Arghya to Lord Surya सूर्य देव का नियमित रूप से पूजन करने से सभी प्रकार के रोग-दोष समाप्त हो जाते हैं। ज्योतिषशास्त्र में सूर्य को नवग्रहों का स्वामी माना जाता है। नौकरी और व्यापार के क्षेत्र में सफलता पाने के लिए सूर्य ग्रह का मजबूत होना जरूरी होता है।
Arghya to Lord Surya: रविवार का दिन अपने नाम के अनुरूप रवि अर्थात सूर्य देव के पूजन का दिन होता है। भगवान सूर्य को प्रत्यक्ष देवता माना जाता है। जो सम्पूर्ण जगत के पालन हार हैं उनकी कृपा दृष्टि से ये चराचर जगत देदीप्यमान है। मान्यता है कि सूर्य देव का नियमित रूप से पूजन करने से सभी प्रकार के रोग-दोष समाप्त हो जाते हैं। ज्योतिषशास्त्र में सूर्य को नवग्रहों का स्वामी माना जाता है। नौकरी और व्यापार के क्षेत्र में सफलता पाने के लिए सूर्य ग्रह का मजबूत होना जरूरी होता है। अगर आप की कुण्डली में सूर्य कमजोर स्थिति में है तो आप को नौकरी और व्यापार के क्षेत्र में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। आइए जानते हैं भगवान सूर्य को प्रसन्न करने के उपायों के बारे में.....
नौकरी में सफलता पाने का उपाय
मान्यता है कि सच्ची श्रद्धा और नियमित रूप से भगवान सूर्य की आराधना करने से सभी संकटों को दूर किया जा सकता हैं। ज्योतिषियों के अनुसार नौकरी और व्यापार में सफलता पाने के लिए सूर्य का ताकतवर होना जरूरी है। नौकरी में सफलता पाने के लिए सूर्य ग्रह की स्थिति मजबूत करने की सलाह दी जाती है। इसके लिए प्रत्येक रविवार को सूर्य देव का पूजन करना चाहिए और नियमित रूप से जल का अर्घ्य चढ़ाएं।
सूर्य देव की अर्घ्य देने की विधि
सूर्य देव की पूजा करने के लिए नियमित रूप से ब्रह्मा मुहूर्त में उठें। स्नान आदि से निवृत्त हो भगवान भास्कर को जल का अर्घ्य प्रदान करें। भगवान सूर्य को तांबे के लोटे से अर्घ्य देना चाहिए। इसके लिए तांबे के लोटे में लाल रंग का फूल और रोली डाल कर भगवान सूर्य को अर्घ्य दें। भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के लिए हमेशा सूर्य देव की ओर मुंह करके होथों को माथे से उपर करके अर्घ्य देना चाहिए। अर्घ्य देते समय इन मंत्र का उच्चारण करना चाहिए......
एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते।
अनुकम्पय मां देवी गृहाणार्घ्यं दिवाकर।।
इसके बाद गायत्री मंत्र का जाप करें.....
ॐ भूर् भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं।
भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ।
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