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    कुंभ मेला के पीछे ये हैं ज्योतिषीय और पौराणिक कारण

    By Preeti jhaEdited By:
    Updated: Fri, 24 Jul 2015 11:03 AM (IST)

    13 जुलाई को देश-विदेश से करीब 3 करोड़ श्रद्धालू नासिक पहुंचे । मौका था 2015 के कुंभ मेला का । यह मेला 25 सितंबर को वमन द्वादशी स्नान के साथ संपन्न होगा । कुंभ मेला को विश्व का सबसे बड़ा उत्सव माना जाता है जिसमें इतनी संख्या में लोग शांतिपूर्व

    13 जुलाई को देश-विदेश से करीब 3 करोड़ श्रद्धालू नासिक पहुंचे । मौका था 2015 के कुंभ मेला का । यह मेला 25 सितंबर को वमन द्वादशी स्नान के साथ संपन्न होगा । कुंभ मेला को विश्व का सबसे बड़ा उत्सव माना जाता है जिसमें इतनी संख्या में लोग शांतिपूर्व इकट्ठा होते हैं । देश भर में चार स्थानों पर कुंभ मेला आयोजित किया जाता है । आइए जानते हैं कब, कहां और क्यों आयोजित किया जाता है कुंभ मेला और क्या है इसका महत्व

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    धार्मिक विद्वानों का मानना है कि कुंभ मेला उन जगहों पर आयोजित किया जाता है जहां भगवान विष्णु द्वारा ले जाए जा रहे अमृत कलश से अमृत की बूंदे गिरीं थीं । इस कथा के अनुसार समुद्र मंथन के समय जब देवता और राक्षस मंथन से निकले अमृत कलश की खातिर एक दूसरे से लड़ रहे थे तब भगवान विष्णु अमृत का पात्र लेकर उड़ गए । रास्ते में कलश से अमृत की बूंदे हरिद्वार, नासिक, उज्जैन और प्रयाग में गिरीं. इन्हीं स्थानों पर कुंभ मेला का आयोजन किया जाता है । हर तीसरे साल इनमे से किसी एक स्थान पर कुंभ मेला का आयोजन किया जाता है

    हर स्थान पर 12 साल में एक बार कुंभ मेला का आयोजन किया जाता है लेकिन हरिद्वार और प्रयाग में हर छठे साल में अर्ध कुंभ का भी आयोजन होता है । नासिक और उज्जैन में अर्ध कुंभ का आयोजन नहीं होता । कुंभ मेला कब कहां मनाया जाए यह बृहस्पति ग्रह और सूर्य की स्थित पर निर्भर करता है

    जब सूरज मेष राशि और बृहस्पति कुंभ राशि में आते हैं तो कुंभ मेला हरिद्वार में आयोजित किया जाता है । जब बृहस्पति वृषभ राशि में और सूरज मकर राशि में हो तो प्रयाग में कुंभ मेला काआयोजन होता है. उज्जैन में कुंभ मेला का आयोजन तब होता है जब सूरज और बृहस्पति दोनो वृश्चिक राशि में होते हैं ।और नाशिक में कुंभ का आयोजन बृहस्पति और सूर्य के सिंह राशि में स्थित होने पर किया जाता है

    जहां हरिद्वार में गंगा किनारे कुंभ मेला का आयोजन किया जाता है वहीं प्रयाग में गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वति नदी के संगम तट पर कुंभ का आयोजन किया जाता । नाशिक में कुंभ मेला गोदावरी नदी के किनारे आयोजित किया जाता है वहीं उज्जैन में कुंभ आयोजन करने का स्थान शिप्रा नदी का तट है