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    Surya Puja: रविवार के दिन भगवान सूर्य देव को ऐसे करें प्रसन्न, बनेंगे सारे बिगड़े काम

    Updated: Sat, 06 Apr 2024 08:00 PM (IST)

    हिंदू धर्म में रविवार के दिन भगवान सूर्य देव की उपासना और व्रत करने का विधान है। मान्यता है कि ऐसा करने से इंसान के सभी दुख दूर होते हैं। अगर आप भी धन संबंधी समस्या से छुटकारा पाना चाहते हैं तो रविवार के दिन सूर्य देव की उपासना करें। साथ ही सच्चे मन से सूर्य स्तुति का पाठ करें।

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    Surya Puja: रविवार के दिन भगवान सूर्य देव को ऐसे करें प्रसन्न, बनेंगे सारे बिगड़े काम

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shri Surya Stuti: हिंदू धर्म में रविवार के दिन भगवान सूर्य देव की उपासना करने का विधान है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो साधक रविवार के दिन भगवान सूर्य देव की पूजा और व्रत करता है। उसे जीवन में किसी भी तरह के दुखों का सामना नहीं करना पड़ता है। साथ ही आरोग्य जीवन का वरदान प्राप्त होता है। अगर आप भी धन संबंधी समस्या से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो रविवार के दिन सूर्य देव की उपासना करें। साथ ही सच्चे मन से सूर्य स्तुति का पाठ करें। मान्यता है कि सूर्य स्तुति का पाठ करने से भगवान सूर्य देव प्रसन्न होते हैं और साधक के बिगड़े काम बनने लगते हैं। आइए पढ़ते हैं सूर्य स्तुति।

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    ।। श्री सूर्य स्तुति ।।

    जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन ।।

    त्रिभुवन-तिमिर-निकन्दन, भक्त-हृदय-चन्दन॥

    जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।

    सप्त-अश्वरथ राजित, एक चक्रधारी।

    दु:खहारी, सुखकारी, मानस-मल-हारी॥

    जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।

    सुर-मुनि-भूसुर-वन्दित, विमल विभवशाली।

    अघ-दल-दलन दिवाकर, दिव्य किरण माली॥

    जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।

    सकल-सुकर्म-प्रसविता, सविता शुभकारी।

    विश्व-विलोचन मोचन, भव-बन्धन भारी॥

    जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।

    कमल-समूह विकासक, नाशक त्रय तापा।

    सेवत साहज हरत अति मनसिज-संतापा॥

    जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।

    नेत्र-व्याधि हर सुरवर, भू-पीड़ा-हारी।

    वृष्टि विमोचन संतत, परहित व्रतधारी॥

    जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।

    सूर्यदेव करुणाकर, अब करुणा कीजै।

    हर अज्ञान-मोह सब, तत्त्वज्ञान दीजै॥

    जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।

    भगवान सूर्य के मंत्र

    1. ॐ घृ‍णिं सूर्य्य: आदित्य:

    2. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।

    3. ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।

    4. ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ ।

    5. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः ।

    6. ॐ सूर्याय नम: ।

    7. ॐ घृणि सूर्याय नम: ।

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    डिसक्लेमर- 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/जयोतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देंश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी'।