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    Surya Dev Aarti: इस आरती के बिना अधूरी है सूर्य देव की पूजा, सभी मनोकामनाएं होंगी पूरी

    Updated: Sun, 09 Jun 2024 06:30 AM (IST)

    सनातन धर्म में रविवार का दिन सूर्य देव को समर्पित है। इस दिन विधिपूर्वक सूर्य देव की पूजा की जाती है। साथ ही अर्घ्य भी दिया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि विधिपूर्वक सूर्य देव की आरती करने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है। अगर आप भी सूर्य देव का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं

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    Surya Dev Aarti: इस आरती के बिना अधूरी है सूर्य देव की पूजा, सभी मनोकामनाएं होंगी पूरी

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Surya Dev Aarti: सनातन धर्म में सप्ताह के सभी दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित है। ठीक इसी प्रकार रविवार के दिन सूर्य देव की विशेष पूजा-अर्चना करने का विधान है। धार्मिक मान्यता है कि विधिपूर्वक सूर्य देव की आरती करने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है। अगर आप भी सूर्य देव का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं, तो रविवार को सुबह स्नान कर सूर्य देव को जल अर्पित करें और पूजा कर उनकी आरती करें। इससे जीवन के सभी संकटों से निजात मिलेगी। आइए पढ़ते हैं सूर्य देव की आरती।

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    । भगवान सूर्य की आरती ।।

    ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

    जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।

    धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।

    अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।

    फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।

    गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।

    स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।

    प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।

    वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।

    ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

    जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।

    धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

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    अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।