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Somvati Amavasya 2022: कब है सोमवती अमावस्या? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

Somvati Amavasya 2022 सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व होता है। इस दिन स्नान-दान के साथ भगवान शिव की पूजा करने का विधान है। इसके साथ ही सोमवती अमावस्या के दिन वट सावित्री का भी व्रत रखा जाएगा। जानिए तिथि मुहूर्त और पूजा विधि

By Shivani SinghEdited By: Published: Wed, 11 May 2022 03:48 PM (IST)Updated: Fri, 20 May 2022 01:36 PM (IST)
Somvati Amavasya 2022: कब है सोमवती अमावस्या? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व
Somvati Amavasya 2022: जानिए सोमवती अमावस्या की तिथि, मुहूर्त

नई दिल्ली, Somvati Amavasya 2022: पंचांग के अनुसार,ज्येष्ठ मास में पड़ने वाली अमावस्या काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है। सोमवार को पड़ने के कारण इसे सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाएगा। इसके साथ ही इस दिन वट सावित्री का व्रत रखने का विधान है। हिंदू धर्म में सोमवती अमावस्या का काफी अधिक महत्व है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के वट वृक्ष की पूजा करती हैं। वट सावित्री को बरगदाही नाम से भी जाना जाता है। इस बार सोमवती अमावस्या मई के अंत यानी 30 मई 2022 को पड़ रही है। माना जा रहा है कि इस बार की सोमवती अमावस्या काफी खास है। क्योंकि इसे साल की आखिरी सोमवती अमावस्या माना जा रहा है। जानिए सोमवती अमावस्या की तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व।

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सोमवती अमावस्या की तिथि और शुभ मुहूर्त

तिथि- 30 मई 2022, सोमवार

अमावस्या तिथि आरंभ - 29 मई 2022 को दोपहर 02 बजकर 54 मिनट से

अमावस्या तिथि समाप्त - 30 मई 2022 को शाम 04 बजकर 59 मिनट तक।

अभिजीत मुहूर्त - सुबह 11 बजकर 57 मिनट से दोपहर 12 बजकर 50 मिनट से

ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 08 मिनट से 04 बजकर 56 मिनट से

सर्वार्थ सिद्धि योग- सुबह 07 बजकर 12 मिनट से 31 मई सुबह 05 बजकर 24 मिनट तक।

सोमवती अमावस्या का महत्व

अमावस्या का दिन पितरों का श्राद्ध करना भी शुभ माना जाता है। इसके अलावा आज के दिन स्नान-दान करने का भी काफी अधिक महत्व है। सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करने का विधान है। इसके साथ आज के दिन सुहागिन महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा अवश्य करें।

सोमवती अमावस्या की पूजा विधि

इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। गंगा स्नान कर लें तो बेहतर है। अगर आप स्नान करने के लिए नहीं जा पा रहे हैं तो घर में ही नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल डालकर नहा लें। इसके बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य दें। इसके साथ ही दान -पुण्य करना चाहिए। पितरों की शांति के लिए तर्पण, श्राद्ध आदि कर सकते हैं। इससे पितरों का आशीर्वाद आपको मिलेगा।

Pic Credit- instagram/halfengineer0007

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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