Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Skanda Sashti 2024: भगवान कार्तिकेय को समर्पित है स्कंद षष्ठी, यहां जानें पूजा विधि

    Updated: Fri, 09 Aug 2024 11:29 AM (IST)

    स्कंद षष्ठी का पर्व दक्षिण भारत में अधिक प्रचलित है। इस दिन श्रद्धालु उपवास करते हैं और स्कंद देवता की पूजा-अर्चना करते हैं। स्कंद भगवान को मुरुगन और सुब्रह्मण्य के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान कार्तिकेय की आराधना करने से शत्रुओं का नाश होता है और घर-परिवार में सुख-समृद्धि का माहौल बना रहता है।

    Hero Image
    Skanda Sashti 2024 स्कंद षष्ठी पर भगवान कार्तिकेय की पूजा विधि।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। प्रत्येक माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी का व्रत किया जाता है। इस तिथि पर मुख्य रूप से भगवान स्कंद अर्थात भगवान कार्तिकेय की पूजा-अर्चना का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस तिथि पर भगवान कार्तिकेय का जन्म हुआ था। ऐसा माना जाता है कि स्कंद षष्ठी की पूजा से ग्रह दोष शांत हो सकते हैं। ऐसे में आइए पढ़ते हैं स्कंद षष्ठी की पूजा विधि।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    स्कंद षष्ठी का शुभ मुहूर्त (Skanda Sashti Shubh Muhurat)

    सावन माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 10 अगस्त को प्रातः 03 बजकर 14 मिनट पर होगी। जिसका समापन 11 अगस्त को प्रात 05 बजकर 44 मिनट पर ही होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, 10 अगस्त 2024, शनिवार को स्कंद षष्ठी मनाई जाएगी।

    स्कंद षष्ठी का महत्व (Skanda Sashti Importance)

    स्कंद षष्ठी मुख्य रूप से भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र यानी भगवान कार्तिकेय को समर्पित एक पर्व है। भगवान कार्तिकेय को देवताओं के सेनापति भी कहा जाता है। स्कंद षष्ठी का पर्व मुख्य रूप से तमिल हिंदुओं द्वारा मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि स्कंद षष्ठी पर भगवान कार्तिकेय या स्ंकद की पूजा-अर्चना से जीवन की बड़ी-से-बड़ी बाधा दूर हो सकती है। साथ ही साधक को सुख-समृद्धि की भी प्राप्ति होती है।

    यह भी पढ़ें - Ashtalakshmi Stotram: शुक्रवार के दिन इस दिव्य स्तोत्र का पाठ करें, नहीं सताएगी आर्थिक तंगी

    स्कंद षष्ठी पूजा विधि (Skanda Sashti Puja Vidhi)

    स्कंद षष्ठी तिथि पर सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत होने के बाद स्कंद भगवान का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें। इसके बाद पूजा घर में भगवान कार्तिकेय की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। भगवान कार्तिकेय के साथ-साथ भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा भी जरूर करनी चाहिए।

    पूजा के दौरान भगवान कार्तिकेय को पुष्प, चंदन, धूप, दीप नैवेद्य आदि अर्पित करें। साथ ही भगवान को फल, मिठाई का भोग लगाएं। आप भगवान कार्तिकेय को मोर पंख भी अर्पित कर सकते हैं, क्योंकि मोर पंख उन्हें प्रिय माना गया है। इससे आपको स्कंद देवता की विशेष कृपा की प्राप्ति हो सकती है।

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।