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    Shri Vishnu Chalisa: गुरुवार को करें श्री विष्णु चालीसा का पाठ, हर कष्ट से मिलेगा छुटकारा

    Shri Vishni Chalisa मान्यता है कि श्री विष्णु चालीसा का पाठ करने से सिद्धि-बुद्धि धन-बल और ज्ञान की प्राप्ति होती है। व्यक्ति को हर तरह के कष्टों से भी छुटकारा मिल जाता है। तो आइए जानते हैं श्री विष्णु की संपूर्ण चालीसा।

    By Shivani SinghEdited By: Updated: Thu, 30 Jun 2022 07:14 AM (IST)
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    Shri Vishni Chalisa: रोजाना करें श्री विष्णु चालीसा का पाठ

    नई दिल्ली, Shri Vishnu Chalisa: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की विधिवत तरीके से पूजा करने का विधान है। इस दिन पूजा करने से माता लक्ष्मी भी प्रसन्न रहती हैं। माना जाता है कि गुरुवार के दिन नियमित रूप से भगवान विष्णु की पूजा करने के साथ विष्णु चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को हर तरह के कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। इसके साथ ही सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है। जानिए श्री विष्णु चालीसा के साथ इसका पाठ करने का सही तरीका।

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    विष्णु चालीसा करने की विधि

    • सभी कामों ने निवृत्त होकर स्नान आदि करके पीले रंग के कपड़े धारण कर लें।
    • अगर आप गुरुवार का व्रत रखते हैं को भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
    • अब पूजा घर में आसन बिछाकर बैठ जाएं।
    • भगवान विष्णु को पीला चंदन, अक्षत, फूल, माला, भोग, तुलसी चढ़ाने के बाद विष्णु चालीसा का पाठ आरंभ करें।
    • अंत में धूप-दीपक करके आचमन कर दें और प्रसाद सभी के बीच बांट दें। 

    श्री विष्णु चालीसा

    दोहा

    विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय ।

    कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय ॥

    चौपाई

    नमो विष्णु भगवान खरारी, कष्ट नशावन अखिल बिहारी ।

    प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी, त्रिभुवन फैल रही उजियारी ॥

    सुन्दर रूप मनोहर सूरत, सरल स्वभाव मोहनी मूरत ।

    तन पर पीताम्बर अति सोहत, बैजन्ती माला मन मोहत ॥

    शंख चक्र कर गदा विराजे, देखत दैत्य असुर दल भाजे ।

    सत्य धर्म मद लोभ न गाजे, काम क्रोध मद लोभ न छाजे ॥

    सन्तभक्त सज्जन मनरंजन, दनुज असुर दुष्टन दल गंजन ।

    सुख उपजाय कष्ट सब भंजन, दोष मिटाय करत जन सज्जन ॥

    पाप काट भव सिन्धु उतारण, कष्ट नाशकर भक्त उबारण ।

    करत अनेक रूप प्रभु धारण, केवल आप भक्ति के कारण ॥

    धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा, तब तुम रूप राम का धारा ।

    भार उतार असुर दल मारा, रावण आदिक को संहारा ॥

    आप वाराह रूप बनाया, हिरण्याक्ष को मार गिराया ।

    धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया, चौदह रतनन को निकलाया ॥

    अमिलख असुरन द्वन्द मचाया, रूप मोहनी आप दिखाया ।

    देवन को अमृत पान कराया, असुरन को छवि से बहलाया ॥

    कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया, मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया ।

    शंकर का तुम फन्द छुड़ाया, भस्मासुर को रूप दिखाया ॥

    वेदन को जब असुर डुबाया, कर प्रबन्ध उन्हें ढुढवाया ।

    मोहित बनकर खलहि नचाया, उसही कर से भस्म कराया ॥

    असुर जलन्धर अति बलदाई, शंकर से उन कीन्ह लड़ाई ।

    हार पार शिव सकल बनाई, कीन सती से छल खल जाई ॥

    सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी, बतलाई सब विपत कहानी ।

    तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी, वृन्दा की सब सुरति भुलानी ॥

    देखत तीन दनुज शैतानी, वृन्दा आय तुम्हें लपटानी ।

    हो स्पर्श धर्म क्षति मानी, हना असुर उर शिव शैतानी ॥

    Pic Credit- Instagram/_jadevine15_

    डिसक्लेमर

    'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'