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    Shiv Ji Aarti: सोमवार को भोलेनाथ की पूजा करते समय जरूर पढ़ें 'जय शिव ओंकारा' आरती

    By Shilpa SrivastavaEdited By:
    Updated: Mon, 26 Oct 2020 06:00 AM (IST)

    Shiv Ji Aarti शिव जी को स्वयंभू कहा जाता है। कहा जाता है कि जिस तरह ब्रह्माण्ड का न तो कोई अंत है और न ही कोई छोर ठीक उसी तरह शिव जी अनादि हैं। पूरा ब्रह्माण्ड शिव जी के अंदर ही समाया हुआ है।

    Shiv Ji Aarti: सोमवार को भोलेनाथ की पूजा करते समय जरूर पढ़ें 'जय शिव ओंकारा' आरती

    Shiv Ji Aarti: शिव जी को स्वयंभू कहा जाता है। कहा जाता है कि जिस तरह ब्रह्माण्ड का न तो कोई अंत है और न ही कोई छोर, ठीक उसी तरह शिव जी अनादि हैं। पूरा ब्रह्माण्ड शिव जी के अंदर ही समाया हुआ है। कहा जाता है कि जब कुछ भी नहीं था तब भी शिव थे। शिव जी को भोलेनाथ और महाकाल भी कहा जाता है। शिव जी के इसी स्वरूप ने अपने ओज व उष्णता की शक्ति से सभी ग्रहों को एक किया हुआ है। वैसे तो शिव जी का हर स्वरूप ही कल्याणकारी है। आज सोमवार है यानी शिव जी का दिन। कहते हैं कि अगर शिव जी की पूजा सच्चे मन से की जाए तो व्यक्ति की हर मनोकामना पूर्ण होती है। साथ ही शिव जी की कृपा भी व्यक्ति पर बनी रहती है।

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    सोमवार के दिन श्रद्धापूर्वक शिव जी की आराधना और उपासना करने से व्यक्ति को सुख-समृद्धि और शांति प्राप्त होती है। शिव जी की पूजा करते समय शिव चालीसा, मंत्र और शिव जी का आरती जरूर पढ़नी चाहिए। आइए पढ़ते हैं शिव जी की आरती:

    शिव जी की आरती:

    जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।

    ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव...॥

    एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।

    हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव...॥

    दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।

    त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव...॥

    अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।

    चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव...॥

    श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।

    सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव...॥

    कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।

    जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव...॥

    ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।

    प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव...॥

    काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।

    नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव...॥

    त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।

    कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव...॥