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    Sheetala Ashtami 2024: आरोग्य की देवी हैं मां शीतला, पढ़िए व्रत की पौराणिक कथा

    चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर शीतला अष्टमी का व्रत किया जाता है। इसे बासोड़ा के नाम से भी जाना जाता है। इस विशेष दिन पर शीतला माता की पूजा-अर्चना की जाती है और उन्हें एक दिन पहले बने यानी बासी भोजन का भोग लगाया जाता है। ऐसा करना धार्मिक और सेहत दोनों की दृष्टि से बेहतर माना गया है।

    By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Thu, 28 Mar 2024 10:05 AM (IST)
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    Sheetla Ashtami vrat Katha पढ़िए शीतला अष्टमी की कथा।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Basoda Vrat Katha: हिंदू धर्म में शीतला माता को स्वच्छता एवं आरोग्य की देवी माना गया है। माना जाता है कि शीतला अष्टमी का व्रत और पूजा करने से साधक को आरोग्य की प्राप्ति हो सकती है। माना जाता है कि शीतला अष्टमी या बासोड़ा के दिन माता शीतला को बासी खाने का भोग लगाने और इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करने से चेचक, खसरा आदि रोगों से राहत मिल सकती है। ऐसे में आइए पढ़ते हैं शीतला अष्टमी की कथा। 

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    शीतला माता पूजा मुहूर्त (Shitala Ashtami Puja Muhurat)

    चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 01 अप्रैल 2024  को रात 09 बजकर 09 मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं, इस तिथि का समापन 02 अप्रैल को रात 08 बजकर 08 मिनट पर हो रहा है। ऐसे में शीतला अष्टमी का व्रत 02 अप्रैल, मंगलवार के दिन किया जाएगा।

    इस दौरान पूजा मुहूर्त सुबह 06 बजकर 10 मिनट से शाम 06 बजकर 40 मिनट तक रहने वाली है। वहीं, कई लोग सप्तमी तिथि पर भी शीतला माता की पूजा करते हैं। ऐसे में शीतला सप्तमी का व्रत 01 अप्रैल, सोमवार के दिन किया जाएगा।

    शीतला अष्टमी व्रत कथा

    पौराणिक कथा के अनुसार, एक दिन वृद्ध महिला औरत और उसकी दो बहुओं ने शीतला माता का व्रत रखा। दोनों बहुओं ने व्रत के विधान के अनुसार, एक दिन पहले ही माता शीतला के भोग के लिए भोजन बनाकर तैयार कर लिया। लेकिन दोनों बहुओं के बच्चे छोटे थे, इसलिए उन्होंने सोचा कि कहीं बासी खाना उनके बच्चों को नुकसान न कर जाए। इसलिए उन्होंने बच्चों के लिए ताजा खाना बना दिया।

    जब वह दोनों शीतला माता के पूजन के बाद घर लौटीं, तो उन्होंने दोनों बच्चों को मृत अवस्था में पाया। इसपर वह जोर-जोर से विलाप करने लगी। तब उनकी सास ने उन्हें बताया कि यह शीतला माता को नाराज करने का परिणाम है। इसपर उनकी सास ने कहा कि जब तक यह बच्चे जीवित न हो जाएं, तुम दोनों घर वापस मत आना।

    माता शीतला का मिला आशीर्वाद

    दोनों बहुएं अपने मृत बच्चों को लेकर इधर-उधर भटकने लगीं, तभी उन्हें एक पेड़ के नीचे दो बहनें बैठी मिलीं जिनका नाम ओरी और शीतला था। वह दोनों बहने गंदगी और जूं के कारण बहुत परेशान थीं। बहुओं ने उनकी सहायता करने के लिए दोनों बहनों के सिर से जुएं निकालीं। जिससे शीतला और ओरी ने प्रसन्न होकर दोनों को पुत्रवती होने का आशीर्वाद दिया। तब उन दोनों बहुओं ने अपनी सारी व्यथा उन दोनों बहनों को बताई।

    इस पर शीतला माता अपने स्वरूप में उनके सामने प्रकट हुईं और उन्हें बताया कि ये सब शीतला अष्टमी के दिन ताजा खाना बनाने के कारण हुआ है। तब दोनों बहुओं ने माता शीतला से क्षमा याचना की और आगे से ऐसा न करने को कहा। माता शीतला ने प्रसन्न होकर दोनों बच्चों को पुनः जीवित कर दिया। इसके बाद दोनों बहुएं बड़ी प्रसन्नता के साथ घर लौटी और तभी से विधि-विधान पूर्वक शीतला मां की पूजा और व्रत करने लगीं।

     

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'