Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Navratri Day 7th: मां कालरात्रि की पूजा में करें इन शक्तिशाली मंत्रों का जप, खुल जाएंगे किस्मत के दरवाजे

    Updated: Tue, 08 Oct 2024 07:00 PM (IST)

    नवरात्र (Shardiya Navratri Day 7th) के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा पूजा का विधान है। माता काली मां पार्वती के उग्र रूप मानी जाती हैं। ऐसे में यदि आप शारदीय नवरात्र के दौरान मां कालरात्रि की पूजा के दौरान उनके इन प्रभावशाली मंत्रों का जाप करते हैं तो इससे आपको रोग-दोष के साथ-साथ तंत्र-मंत्र के प्रभाव से भी मुक्ति मिल सकती है।

    Hero Image
    Navratri Day 7 मां कालरात्रि की पूजा में करें इन शक्तिशाली मंत्रों का जप।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में नवरात्र की पावन अवधि आदिशक्ति मां दुर्गा के नौ रूपो की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित मानी गई है। इस साल शारदीय नवरात्र की शुरुआत 03 अक्टूबर से हो चुकी है, जिसका समापन 11 अक्टूबर को होने जा रहा है। ऐसे में आप सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा में उनके शक्तिशाली मंत्रों का जप कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    शक्तिशाली पूजा मंत्र

    • 1. ॐ क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ ह्रीं ह्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ ह्रीं ह्रीं स्वाहा॥
    • 2. ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रुं ह्रुं क्रीं क्रीं क्रीं दक्षिणकालिके क्रीं क्रीं क्रीं ह्रुं ह्रुं ह्रीं ह्रीं॥
    • 3. ॐ ह्रुं ह्रुं क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं दक्षिणकालिके ह्रुं ह्रुं क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं स्वाहा॥
    • 4. ॐ क्रीं क्रीं क्रीं ह्रुं ह्रुं ह्रीं ह्रीं दक्षिणकालिके स्वाहा॥
    • 5. श्मशान भैरवि नररुधिरास्थि वसाभक्षिणि सिद्धिं मे देहि मम मनोरथान् पूरय हुं फट् स्वाहा॥
    • 6. ॐ त्रिपुरायै विद्महे महाभैरव्यै धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात्॥
    • 7. ह्लीं बगलामुखी विद्महे दुष्टस्तंभनी धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात्॥
    • 8. ऐं स्त्रीं ॐ ऐं ह्रीं फट् स्वाहा॥
    • 9. ॐ धूमावत्यै विद्महे संहारिण्यै धीमहि तन्नो धूमा प्रचोदयात्॥
    • 10. ॐ शुक्रप्रियायै विद्महे श्रीकामेश्वर्यै धीमहि तन्नः श्यामा प्रचोदयात्॥

    यह भी पढ़ें - Shardiya Navratri 2024 Day 7: शारदीय नवरात्र के सातवें दिन दुर्लभ 'शोभन' योग समेत बन रहे हैं कई मंगलकारी संयोग

    दुर्गाष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र

    शतनाम प्रवक्ष्यामि श्रृणुष्व कमलानने।

    यस्य प्रसादमात्रेण दुर्गा प्रीता भवेत् सती॥

    ॐ सती साध्वी भवप्रीता भवानी भवमोचनी।

    आर्या दुर्गा जया चाद्या त्रिनेत्रा शूलधारिणी॥

    पिनाकधारिणी चित्रा चण्डघण्टा महातपाः।

    मनो बुद्धिरहंकारा चित्तरूपा चिता चितिः॥

    सर्वमन्त्रमयी सत्ता सत्यानन्दस्वरूपिणी।

    अनन्ता भाविनी भाव्या भव्याभव्या सदागतिः॥

    शाम्भवी देवमाता च चिन्ता रत्नप्रिया सदा।

    सर्वविद्या दक्षकन्या दक्षयज्ञविनाशिनी॥

    अपर्णानेकवर्णा च पाटला पाटलावती।

    पट्टाम्बरपरीधाना कलमञ्जीररञ्जिनी॥

    अमेयविक्रमा क्रूरा सुन्दरी सुरसुन्दरी।

    वनदुर्गा च मातङ्गी मतङ्गमुनिपूजिता॥

    ब्राह्मी माहेश्वरी चैन्द्री कौमारी वैष्णवी तथा।

    चामुण्डा चैव वाराही लक्ष्मीश्च पुरुषाकृतिः॥

    विमलोत्कर्षिणी ज्ञाना क्रिया नित्या च बुद्धिदा।

    बहुला बहुलप्रेमा सर्ववाहनवाहना॥

    निशुम्भशुम्भहननी महिषासुरमर्दिनी।

    मधुकैटभहन्त्री च चण्डमुण्डविनाशिनी॥

    सर्वासुरविनाशा च सर्वदानवघातिनी।

    सर्वशास्त्रमयी सत्या सर्वास्त्रधारिणी तथा॥

    अनेकशस्त्रहस्ता च अनेकास्त्रस्य धारिणी।

    कुमारी चैककन्या च कैशोरी युवती यतिः॥

    अप्रौढा चैव प्रौढा च वृद्धमाता बलप्रदा।

    महोदरी मुक्तकेशी घोररूपा महाबला॥

    अग्निज्वाला रौद्रमुखी कालरात्रिस्तपस्विनी।

    नारायणी भद्रकाली विष्णुमाया जलोदरी॥

    शिवदूती कराली च अनन्ता परमेश्वरी।

    कात्यायनी च सावित्री प्रत्यक्षा ब्रह्मवादिनी॥

    य इदं प्रपठेन्नित्यं दुर्गानामशताष्टकम्।

    नासाध्यं विद्यते देवि त्रिषु लोकेषु पार्वति॥

    धनं धान्यं सुतं जायां हयं हस्तिनमेव च।

    यह भी पढ़ें -  Shardiya Navratri Day 7th: सातवें दिन की जाएगी मां कालरात्रि की पूजा, जानें क्या करें और क्या नहीं

    चतुर्वर्गं तथा चान्ते लभेन्मुक्तिं च शाश्वतीम्॥

    कुमारीं पूजयित्वा तु ध्यात्वा देवीं सुरेश्वरीम्।

    पूजयेत् परया भक्त्या पठेन्नामशताष्टकम्॥

    तस्य सिद्धिर्भवेद् देवि सर्वैः सुरवरैरपि।

    राजानो दासतां यान्ति राज्यश्रियमवाप्नुयात्॥

    गोरोचनालक्तककुङ्कुमेन सिन्दूरकर्पूरमधुत्रयेण।

    विलिख्य यन्त्रं विधिना विधिज्ञो भवेत् सदा धारयते पुरारिः॥

    भौमावास्यानिशामग्रे चन्द्रे शतभिषां गते।

    विलिख्य प्रपठेत् स्तोत्रं स भवेत् सम्पदां पदम्॥

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।