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    Shardiya Navratri Day 6: इस तरह मां कात्यायनी कहलाईं महिषासुर मर्दनी, यहां पढ़ें व्रत कथा

    By Suman SainiEdited By: Suman Saini
    Updated: Fri, 20 Oct 2023 10:29 AM (IST)

    Sharad Navratri 2023 हिंदू धर्म में नवरात्र का समय बहुत ही पवित्र माना गया है। वर्ष 2023 में 15 अक्टूबर रविवार के दिन से शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो चुकी है। आज यानी नवरात्र का छठा दिन देवी कात्यायनी की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित माना गया है। ऐसे में आइए पढ़ते हैं मां दुर्गा के स्वरूपों में से एक मां कात्यायनी की व्रत कथा।

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    Shardiya Navratri Day 6: नवरात्र के छठे दिन मां पढ़ें मां कात्यायनी की व्रत कथा।

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Maa Katyayani Puja: नवरात्र के नौ दिन मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। मां दुर्गा के छठे रूप मां कात्यायनी को महिषासुर मर्दनी के नाम से भी जाना जाता है। चलिए नवरात्र के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा के अवसर पर पढ़ते हैं देवी महिषासुर मर्दनी की कथा।

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    मां कात्यायनी व्रत कथा (Maa Katyayani vrat katha)

    पौराणिक कथा के अनुसार एक बार महर्षि कात्यायन ने संतान प्राप्ति के लिए मां भगवती की कठोर तपस्या की। महर्षि कात्यायन की कठोर तपस्या से मां भगवती प्रसन्न हुई और उन्हें साक्षात दर्शन दिए। कात्यायन ऋषि ने मां के सामने अपनी इच्छा प्रकट की, इसपर मां भगवती ने उन्हें वचन दिया कि वह उनके घर उनकी पुत्री के रूप में जन्म लेंगी। एक बार महिषासुर नाम के एक दैत्य का अत्याचार प्रितिदित तीनों लोकों पर बढ़ता ही जा रहा था। इससे सभी देवी-देवता परेशान हो गए।

    तब त्रिदेव - ब्रह्मा, विष्णु और महेश अर्थात भगवान शिव के तेज से देवी को उत्पन्न किया जिन्होने महर्षि कात्यायन के घर जन्म लिया। महर्षि कात्यायन के घर जन्म लेने के कारण उन्हें कात्यायनी नाम दिया गया। माता रानी के घर में पुत्री के रूप में जन्म लेने के बाद ऋषि कात्यायन ने सप्तमी, अष्टमी और नवमी तिथि पर मां कात्यायनी की विधि-विधान पूर्वक पूजा-अर्चना की। इसके बाद मां कात्यायनी ने दशमी के दिन महिषासुर का वध किया और तीनों लोकों को उसके अत्याचारों से मुक्ति दिलाई।

    मां कात्यायनी पूजा विधि (Maa Katyayani Puja vidhi)

    नवरात्रि के छठा दिन मां कात्यायनी की पूजा के लिए समर्पित है। ऐसे में इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत होने के बाद नीले रंग के वस्त्र धारण करें। इस दिन मां श्रृंगार लाल रंग से करें। इसके बाद विधि-विधान पूर्वक माता कात्यायनी की पूजा करें और उन्हें पीले फूल और शहद अर्पित करें। विधि विधान से मां कात्यायनी की पूजा करने के बाद उनकी आरती करें और आसपास के सभी लोगों में प्रसाद वितरित करें।

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'