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    Navratri 2022: नवरात्र का कलश उठाते समय जरूर ध्यान रखें ये बातें, तभी मिलेगा पूजा का पूर्ण फल

    By Shivani SinghEdited By:
    Updated: Tue, 04 Oct 2022 08:31 AM (IST)

    Shardiya Navratri 2022 हिंदू धर्म में नवरात्र का काफी महत्व है। नौ दिनों तक चलने वाले इस फर्व में नवमी या फिर दशमी तिथि को कलश विसर्जन करने का विधान है। जानिए कलश विसर्जन करते समय किन बातों का रखें ख्याल।

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    Navratri 2022: नवरात्र का कलश उठाते समय जरूर ध्यान रखें ये बातें

    नई दिल्ली, Navratri 2022 Kalash Visarjan Vidhi: मां दुर्गा को समर्पित नवरात्र हिंदू धर्म में काफी धूमधाम से मनाया जाता है। नौ दिनों तक चलने वाले इस महापर्व में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधिवत पूजा की जाती है। इसके साथ ही आश्विन मास की प्रतिपदा तिथि से शुरू हुए नवरात्र के पहले दिन ही कलश स्थापना की जाती है। जिसका विसर्जन नवमी या दशमी तिथि को करना शुभ माना जाता है।

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    निर्णय-सिन्धु के अनुसार, नवरात्र का व्रत प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक करना चाहिए। तभी वह पूर्ण माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार जिस तरह कलश स्थापना करते समय विधि विधान के ध्यान रखा जाता है। वैसे ही कलश विसर्जन करते समय कुछ बातों का जरूर ध्यान रखें। ऐसा करने से मां दुर्गा रुष्ट नहीं होगी।

    दुर्गा से करें ये प्रार्थना

    नवमी या दशमी तिथि को व्रत संपन्न होने के बाद हवन और फिर कन्याओं को भोजन जरूर कराएं। इसके साथ ही अपनी यथार्थ के अनुसार उन्हें उपहार दें। अगर आप पहले ही कन्या पूजन करा चुके हैं, तो और भी अच्छा है। कन्या पूजन करने से मां देवी अति प्रसन्न होती है। अगर आप कन्या पूजन की विधि, मंत्र आदि नहीं जानते हैं तो मां दुर्गा से क्षमा याचना मांगते हुए कहे कि हे देवी, मैने अपने सामर्थ्य के अनुसार, अल्पज्ञान के साथ आपका व्रत रखा, कलश स्थापना की और कन्या पूजन किया। आप आप अपनी कृपा मुझकर बरसाएं और मेरे कुल, मेरे परिवार को अपना आशीर्वाद दें और हमारे घर में हमेशा विराजमान रहें।मां दुर्गा से क्षमायाचना मांगने के बाद देवी सूक्तम पाठ करते हुए मंत्र जरूर पढ़ें। इस मंत्र का करीब 11 बार जाप जरूर करें।

    मंत्र

    या देवि सर्वभूतेषु शांति रूपेण संस्थिता।

    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।

    ऐसे करें कलश विसर्जन

    मां दुर्गा और कलश की विधिवत पूजा करने के बाद विसर्जन करना बेहद जरूरी है। कलश उठाते समय इस मंत्र को बोलते रहें- ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे॥

    सबसे पहले कलश के ऊपर रखें नारियल को धीमे से उठाएं और अपने माथे में लगाएं। इसके बाद नारियल, चुनरी आदि घर में मौजूद पत्नी, मां या फिर बहन की गोद में रख दें। इसके बाद आम के पत्तों से कलश में मौजूद पानी को पूरे घर में छिड़क दें। इस बात का ध्यान रखें कि जल छिड़कने की शुरुआत किचन से करें। क्योंकि यहां पर मां अन्नपूर्णा के साथ मां लक्ष्मी का वास होता है। इसके बाद घर के हर एक कोने में छिड़क दें। बस बाथरूम, शौचालय में न छिड़के। इसके बाद बचे हुए डल को तुलसी या फिर किसी पेड़ में डाल दें।

    कलश में जो सिक्का था उसे उठाकर माथे से लगाकर अपनी तिजोरी या पर्स में रख लें और हमेशा रखे रहें। कलश और अखंड ज्योति में बंधे कलावा को धीमे से खोलकर अपने हाथों में बांध लें।

    अखंड ज्योति को दशहरा की रात शाम तक प्रज्जवलित करके रखें इसके साथ ही जौ को अपने गार्डन या फिर किसी गमले में रख दें। आप चाहे को इसका सेवन भी कर सकते हैं।

    Pic Credit- Freepik

    डिसक्लेमर

    इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।