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    Shanivar Vrat Udyapan: शनिवार के व्रत में दान का है विशेष महत्व, जानें उद्यापन की विधि

    By Suman SainiEdited By: Suman Saini
    Updated: Sat, 29 Jul 2023 07:30 AM (IST)

    Shanivar Vrat Udyapan हिंदू धर्म में शनि देवता को न्याय का देवता कहा जाता है। साथ ही उन्हें कर्मफलदाता भी माना जाता है। वह व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार शुभ या अशुभ परिणाम देते हैं। शनिदेव जब किसी को दंड देते हैं तो उसके जीवन में साढ़े साती और ढैय्या का चक्र शुरू होता है। शनिवार के व्रत से शनिदेव प्रसन्न होते हैं।

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    Shanivar Vrat Udyapan शनिवार व्रत के उद्यापन की विधि।

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Shanivar Vrat Udyapan: शनिदेव को ग्रहों का राजा भी कहा जाता है। शनिदेव बहुत जल्दी रुष्ट हो जाते हैं। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में साढ़ेसाती और ढैय्या का योग होता है तो उसे जीवन में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में आप शनिवार के व्रत द्वारा शनिदेव को प्रसन्न किया जा सकता है। क्योंकि शास्त्रों के अनुसार, शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित है। ऐसे में व्रत का उद्यापन करना भी जरूरी माना गया है। आइए जानते हैं शनिवार व्रत के उद्यापन की विधि।

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    ऐसे करें उद्यापन

    शनिवार उद्यापन करने के लिए आपने जितने व्रत का आपने संकल्प लिया है जैसे- 17, 27 या 37 आदि। संकल्प पूरा होने के बाद अगले शनिवार सुबह उठकर पानी में गंगाजल और काले तिल डालकर स्नान करते हुए ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः का जाप करें। इसके बाद शनि देव को नीले या काले वस्त्र अर्पित करके और शनि चालीसा पढ़ें। शनि देव के मंदिर जाकर उन्हें तेल चढ़ाएं और गेंदे के पुष्प अर्पित करें। शनिदेव को काली उड़द की दाल से बनी चीजों का भोग लगाएं। शनि देव की आरती करें और उसके बाद भोग को प्रसाद के रूप में वितरित करें।

    इन चीजों का करें दान

    शनिवार व्रत उद्यापन के बाद दान करने का बहुत महत्व माना गया है। ऐसा माना जाता है कि बिना दान किए शनिवार के व्रत का फल प्राप्त नहीं होता है। शनिवार के दिन काले वस्त्र और जूतों का दान करना चाहिए। शनिवार के व्रत के उद्यापन में लोहे की चीजों का दान करना भी शुभ माना जाता है। इससे राहु का दुष्प्रभाव कम होता है। वहीं, शनिवार के दिन अनाज का दान करने से घर में बरकत बनी रहती है। इसके अलावा छाते का दान भी किया जा सकता है।

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'

    अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

    व्रत आदि की समाप्ति के बाद किया जाने वाला धार्मिक कार्य जैसे हवन, पूजन और भोजन आदि को उद्यापन कहा जाता है।