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    Shani Pradosh Vrat 2024: शनि प्रदोष व्रत पर पूजा के समय करें प्रेतराज चालीसा का पाठ, शनि दोष से मिलेगी निजात

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Sat, 31 Aug 2024 07:00 AM (IST)

    शिव पुराण में निहित है कि प्रदोष व्रत (Shani Pradosh Vrat 2024) करने से साधक को जन्म-जन्मांतर में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख एवं संकट भी दूर हो जाते हैं। इस शुभ अवसर पर साधक श्रद्धा भाव से देवों के देव महादेव संग मां पार्वती की पूजा करते हैं।

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    Shani Pradosh Vrat 2024: शनिदेव को कैसे प्रसन्न करें ?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, 31 अगस्त को शनि प्रदोष व्रत है। यह पर्व देवों के देव महादेव को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर भगवान शिव संग मां पार्वती की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त प्रदोष व्रत (Shani Pradosh Vrat 2024) का उपवास रखा जाता है। धार्मिक मत है कि भगवान शिव की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही जीवन में सुखों का आगमन होता है। ज्योतिष शनि बाधा दूर करने के लिए हनुमान जी की पूजा करने की सलाह देते हैं। अगर आप भी शनि की बाधा से मुक्ति पाना चाहते हैं, तो शनि प्रदोष व्रत पर विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा करें। वहीं, पूजा के समय प्रेतराज चालीसा का पाठ करें।

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    श्री प्रेतराज चालीसा

    ॥ दोहा ॥

    गणपति की कर वंदना,गुरु चरनन चितलाय।

    प्रेतराज जी का लिखूं,चालीसा हरषाय॥

    जय जय भूताधिप प्रबल,हरण सकल दु:ख भार।

    वीर शिरोमणि जयति,जय प्रेतराज सरकार॥

    ॥ चौपाई ॥

    जय जय प्रेतराज जग पावन। महा प्रबल त्रय ताप नसावन॥

    विकट वीर करुणा के सागर। भक्त कष्ट हर सब गुण आगर॥

    रत्न जटित सिंहासन सोहे। देखत सुन नर मुनि मन मोहे॥

    जगमग सिर पर मुकुट सुहावन। कानन कुण्डल अति मन भावन॥

    धनुष कृपाण बाण अरु भाला। वीरवेश अति भृकुटि कराला॥

    गजारुढ़ संग सेना भारी। बाजत ढोल मृदंग जुझारी॥

    छत्र चंवर पंखा सिर डोले। भक्त बृन्द मिलि जय जय बोले॥

    भक्त शिरोमणि वीर प्रचण्डा। दुष्ट दलन शोभित भुजदण्डा॥

    चलत सैन काँपत भूतलहू। दर्शन करत मिटत कलि मलहू॥

    घाटा मेंहदीपुर में आकर। प्रगटे प्रेतराज गुण सागर॥

    लाल ध्वजा उड़ रही गगन में। नाचत भक्त मगन हो मन में॥

    भक्त कामना पूरन स्वामी। बजरंगी के सेवक नामी॥

    इच्छा पूरन करने वाले। दु:ख संकट सब हरने वाले॥

    जो जिस इच्छा से आते हैं। वे सब मन वाँछित फल पाते हैं॥

    रोगी सेवा में जो आते। शीघ्र स्वस्थ होकर घर जाते॥

    भूत पिशाच जिन्न वैताला। भागे देखत रुप कराला॥

    भौतिक शारीरिक सब पीड़ा। मिटा शीघ्र करते हैं क्रीड़ा॥

    कठिन काज जग में हैं जेते। रटत नाम पूरन सब होते॥

    तन मन धन से सेवा करते। उनके सकल कष्ट प्रभु हरते॥

    हे करुणामय स्वामी मेरे। पड़ा हुआ हूँ चरणों में तेरे॥

    कोई तेरे सिवा न मेरा। मुझे एक आश्रय प्रभु तेरा॥

    लज्जा मेरी हाथ तिहारे। पड़ा हूँ चरण सहारे॥

    या विधि अरज करे तन मन से। छूटत रोग शोक सब तन से॥

    मेंहदीपुर अवतार लिया है। भक्तों का दु:ख दूर किया है॥

    रोगी, पागल सन्तति हीना। भूत व्याधि सुत अरु धन छीना॥

    जो जो तेरे द्वारे आते।मन वांछित फल पा घर जाते॥

    महिमा भूतल पर है छाई। भक्तों ने है लीला गाई॥

    महन्त गणेश पुरी तपधारी। पूजा करते तन मन वारी॥

    हाथों में ले मुगदर घोटे। दूत खड़े रहते हैं मोटे॥

    लाल देह सिन्दूर बदन में। काँपत थर-थर भूत भवन में॥

    जो कोई प्रेतराज चालीसा। पाठ करत नित एक अरु बीसा॥

    प्रातः काल स्नान करावै। तेल और सिन्दूर लगावै॥

    चन्दन इत्र फुलेल चढ़ावै। पुष्पन की माला पहनावै॥

    ले कपूर आरती उतारै। करै प्रार्थना जयति उचारै॥

    उनके सभी कष्ट कट जाते। हर्षित हो अपने घर जाते॥

    इच्छा पूरण करते जनकी। होती सफल कामना मन की॥

    भक्त कष्टहर अरिकुल घातक। ध्यान धरत छूटत सब पातक॥

    जय जय जय प्रेताधिप जय। जयति भुपति संकट हर जय॥

    जो नर पढ़त प्रेत चालीसा। रहत न कबहूँ दुख लवलेशा॥

    कह भक्त ध्यान धर मन में। प्रेतराज पावन चरणन में॥

    ॥ दोहा ॥

    दुष्ट दलन जग अघ हरन,समन सकल भव शूल।

    जयति भक्त रक्षक प्रबल,प्रेतराज सुख मूल॥

    विमल वेश अंजिन सुवन,प्रेतराज बल धाम।

    बसहु निरन्तर मम हृदय,कहत भक्त सुखराम॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।