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    Sawan Somwar 2024: सावन के तीसरे सोमवार पर आसान विधि से करें पूजा, मनोवांछित फल की होगी प्राप्ति

    ऐसा माना जाता है कि सावन के महीने में भगवान शिव की आराधना करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति हो सकती है। खासकर सावन सोमवार (Sawan Somwar Vrat) के दिन व्रत करना अत्यंत शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि सावन सोमवार के दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाने मात्र से महादेव प्रसन्न होते हैं। ऐसे में आप सावन सोमवार पर इस विधि से पूजा-अर्चना कर सकते हैं।

    By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Fri, 02 Aug 2024 12:41 PM (IST)
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    Sawan Somwar 2024: सावन के तीसरे सोमवार पर आसान विधि से करें पूजा।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भगवान शिव का प्रिय महीना यानी सावन सोमवार, 22 जुलाई 2024 से हो चुका है। सावन सोमवार के दिन भक्तों द्वारा व्रत आदि भी किया जाता है। ऐसे में 5 अगस्त को सावन के तीसरे सोमवार का व्रत किया जाएगा। आप इस दिन सरल विधि से शिव जी की पूजा कर उनकी कृपा के पात्र बन सकते हैं। तो चलिए जानते हैं सावन सोमवार पूजा की सरल विधि।

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    इस तरह करें पूजा (Sawan Somwar Vrat Vidhi)

    सावन सोमवार के दिन सुबह जल्दी उठकर भगवान शिव का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। इसके बाद मंदिर जाकर या घर पर ही आप पूजा कर सकते हैं। इसके लिए हाथ में अक्षत तथा फूल लेकर दोनों हाथ जोड़ें और भगवान शिव का आह्वान करें। इसके बाद इन फूलों को शिव जी को समर्पित कर दें। सबसे पहले शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। इसके बाद सफेद चंदन से भगवान को तिलक लगाएं। अब शिवलिंग पर सफेद पुष्प, धतुरा, बेल-पत्र, भांग आदि अर्पित करें और दीप जलाकर भगवान शिव की आरती करें।

    बेलपत्र चढ़ाते समय ध्यान रखें कि शिवलिंग पर हमेशा 3 पत्तों वाला बेलपत्र चढ़ाना चाहिए। साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि बेलपत्र साबुत होना चाहिए। बेलपत्र को हमेशा चिकने सतह की ओर से शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए। पूजा के बाद पूरे दिन का उपवास रखें। इसके बाद शाम के समय शिव जी के समक्ष दीपक जलाएं और भगवान शिव को प्रसाद अर्पित करें। पूजा के बाद आप प्रसाद और कुछ फल ग्रहण कर अपना व्रत खोल सकते हैं।

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    करें इन मंत्रों का जाप

    सावन सोमवार की पूजा करने के बाद आप मंदिर में बैठकर या फिर घर ही शिव जी के इन मंत्रों का जाप कर सकते हैं -

    शिव मूल मंत्र - ॐ नमः शिवाय॥

    महामृत्युंजय मंत्र - ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्

    उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

    रूद्र मंत्र - ॐ नमो भगवते रूद्राय।

    रूद्र गायत्री मंत्र - ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।