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    Sawan Somwar Vrat 2025: सावन सोमवार व्रत का 4 अगस्त को करें उद्यापन, तभी मिलेगा पूरा फल

    Updated: Thu, 31 Jul 2025 01:17 PM (IST)

    सावन का महीना 9 अगस्त को समाप्त हो जाएगा। कई लोगों ने भगवान को प्रसन्न करने के लिए सोमवार के व्रत किए हैं। मान्यता है कि व्रतों को करने के बाद उद्यापन करना जरूरी है अन्यथा व्रत का फल नहीं मिलता। उद्यापन का अर्थ है व्रत के लिए गए संकल्प का पूर्ण होना।

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    उद्यापन का मतलब होता है पूर्ण होना।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सावन का पवित्र महीना 11 जुलाई 2025 को शुरू हुआ था। इसका आखिरी सोमवार 4 अगस्त को पड़ेगा, जबकि 9 अगस्त को सावन का महीना खत्म हो जाएगा। इस दौरान अपने आराध्य की कृपा पाने के लिए और उनको प्रसन्न करने के लिए सोमवार के व्रत कई लोगों ने किए हैं।  

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    मगर, क्या आपको पता है कि यदि आपने इन व्रतों को करने के बाद उद्यापन नहीं किया, तो व्रत का पूरा फल आपको नहीं मिलेगा। उद्यापन का मतलब होता है पूर्ण होना। इसलिए किसी भी व्रत के पूरा होने पर जो अंतिम पूजा या अंतिम व्रत किया जाता है, उस दिन उद्यापन करना होता है। 

    यदि आपने बिना कोई मान्यता के व्रत किए हैं, तो 4 अगस्त को सावन के आखिरी सोमवार के दिन व्रत का उद्यापन जरूर करें। यदि आपने संकल्प लिया था कि आप 16 सोमवार करेंगे, तो आपको 16वें सोमवार के दिन उद्यापन करना होगा। 

    उद्यापन में लगेगी ये सामग्री 

    सावन के सोमवार के व्रत का उद्यापन करने के लिए आपको कुछ चीजों की जरूरत होगी। इसलिए इन चीजों को पहले से ही बाजार से खरीदकर घर ले आएं। इसके लिए सबसे पहली और जरूरी चीज है शिव-पार्वती जी की प्रतिमा या मूर्ति।

    इसके अलावा आपको वस्त्र, फल, केले का पत्ता, आम का पत्ता, पान, सफेद मिठाई की जरूरत होगी।पंचामृत बनाने के लिए गाय का कच्चा दूध, दही भी आपको उसी दिन खरीदना पड़ेगा।

    वहीं पंचामृत के लिए घी, शहद और शक्कर भी घर में ही होगी। शिव-पार्वती की प्रतिमा को स्थापित करने के लिए लकड़ी की चौकी और साफ-सुथरा लाल कपड़ा आपके घर में ही मिल जाएगा। पूजा के लिए छोटी इलायची, लौंग, कुंकुम, रोली, अक्षत, सुपारी भी घर में ही मिल जाएगी। 

    उद्यापन की विधि 

    सुबह स्नान आदि दैनिक कार्यों को करने के बाद साफ और स्वच्छ कपड़े पहनें। इसके बाद गंगा जल से पूजा स्थान को शुद्ध करके चौकी रखें। फिर उस पर लाल कपड़ा बिछाकर शिव-पार्वती की मूर्ति या प्रतिमा स्थापित करें। स्वयं को पवित्र करने के लिए हाथ में जल लेकर इस मंत्र का उच्चारण करें… 

    ‘ॐ पवित्रः अपवित्रो वा सर्वावस्थांगतोऽपिवा। यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स वाह्यभ्यन्तर शुचिः॥’

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    इसके बाद वह जल अपने ऊपर छिड़क लें। फिर एक दीपक और धूप जलाने के बाद शिवजी को चंदन और अक्षत लगाएं। माता पार्वती को रोली लगाएं। इसके बाद फूल-माला, फल, मिठाई, पंचामृत चढ़ाकर उसका भोग लगाएं। साथ ही अन्य साम्रगी भी चढ़ा दें। 

    इसके बाद शिव चालीसा, शिव पंचाक्षरी मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र आदि का जाप करें। अंत में शिव जी की आरती उतारें। इस तरह से आपके व्रत का उद्यापन पूरा हो जाएगा। इसके बाद अपनी क्षमता के अनुसार जरूरतमंद और गरीब लोगों को दक्षिणा या वस्त्र आदि दान करें। 

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।