Sawan Somwar Vrat 2024: ऐसे करें सावन सोमवार व्रत का उद्यापन, ताकि आप पूर्ण फल से न रहें वंचित
हिंदू मान्यताओं के अनुसार किसी भी व्रत का उद्यापन करना बहुत जरूरी होता है वरना साधक को उस व्रत का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता। ऐसे में यदि आपने सावन सो ...और पढ़ें

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। कुछ ही दिनों में सावन का पवित्र समाप्त होने वाला है। साथ ही सावन सोमवार का दिन भी बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इस दिन व्रत आदि करने से साधक को शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है। सावन सोमवार की शुरुआत 22 जुलाई 2024 से हुई थी। वहीं 19 अगस्त को सावन का आखिरी सोमवार व्रत रक्षाबंधन के दिन यानी 19 अगस्त को किया जाएगा। ऐसे में चलिए जानते हैं सावन सोमवार व्रत की उद्यापन विधि
क्या होता है उद्यापन
किसी भी व्रत के पूरा होने पर जो अंतिम पूजा या अंतिम व्रत किया जाता है उसे उद्यापन कहते हैं। ऐसा माना जाता है कि बिना उद्यापन के व्रत का फल नहीं मिलता। उदाहरण के तौर पर इस साल सावन में 5 सोमवार के व्रत किए जाएंगे, जिनमें से आखिरी यानी पांचवें सोमवार पर इस व्रत का उद्यापन किया जाता है।
सावन सोमवार व्रत उद्यापन सामग्री
- शिव-पार्वती जी की प्रतिमा या मूर्ति और चंद्रदेव का चित्र
- लकड़ी की चौकी, साफ-सुथरा लाल कपड़ा
- पंचामृत (गाय का कच्चा दूध, दही, घी, शहद, शक्कर), सफेद रंग की मिठाई
- छोटी इलायची, लौंग, कुंकुम, रोली, अक्षत, सुपारी
- फूल माला, पान, गंगा जल, नैवेद्य, मिट्टी का दीपक
- वस्त्र, ऋतुफल, मौली, धूप, कपूर, सफेद एवं लाल चंदन, केले का पत्ता, आम का पत्ता

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इस तरह करें उद्यापन (Sawan Somvar Vrat parana vidhi)
आखिरी सावन सोमवार व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत होने के बाद सफेद वस्त्र धारण करें। इसके बाद पूजा स्थान को गंगा जल से शुद्ध कर एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं और शिव-पार्वती की मूर्ति या प्रतिमा स्थापित करें। इसके साथ ही चंद्र देव की प्रतिमा भी स्थापित करें। हाथ में जल लेकर इस मंत्र का उच्चारण करते हुए अपने ऊपर जल छिड़कें -
‘ॐ पवित्रः अपवित्रो वा सर्वावस्थांगतोऽपिवा। यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स वाह्यभ्यन्तर शुचिः॥’
अब भगवान शिव को चंदन, रोली और अक्षत का टीका लगाएं और उन्हें फूल-माला अर्पित करें। इसके बाद पंचामृत का भोग लगाएं और सफेद रंग की मिठाई अर्पित करें। साथ ही अन्य साम्रगी भी माता पार्वती और भगवान शिव को अर्पित कर दें। पूजा करने के बाद भोजन ग्रहण करें। इस बात का ध्यान रखें कि उद्यापन के दिन सिर्फ एक समय ही भोजन करना होता है। साथ ही उद्यापन के दिन अपनी क्षमता के अनुसार जरूरतमंद और गरीब लोगों को दक्षिणा या वस्त्र आदि का दान करें।
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