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    Sawan 2024: भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाते समय करें ये स्तुति, सभी समस्याओं का निकलेगा हल

    Updated: Fri, 26 Jul 2024 05:20 PM (IST)

    हिंदू धर्म में भगवान शिव सबसे अधिक पूजे जाने वाले देवताओं में से एक माने जाते हैं। उन्हें देवाधिदेव आदियोगी शंकर और भोलेनाथ जैसे कई नामों से जाना जाता है। वहीं सावन में भोलेनाथ के निमित्त व्रत और पूजा-पाठ करना बहुत ही लाभकारी माना जाता है। ऐसे में आप इस तरह से सावन में भोलेनाथ की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

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    Bilvastakam Path भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाते समय करें ये स्तुति।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भगवान शिव की पूजा में बेलपत्र का जरूरी रूप से इस्तेमाल किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करने से शिव जी प्रसन्न होते हैं और अपने भक्त की सभी मनोकामाएं पूर्ण करते हैं। ऐसे में सावन के पवित्र माह में शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करते समय आपको इस स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। ऐसा ककरने सा आपकी मनोकामना जल्द पूर्ण होती है।

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    शिव आह्वान मंत्र

    ॐ मृत्युंजय परेशान जगदाभयनाशन ।

    तव ध्यानेन देवेश मृत्युप्राप्नोति जीवती ।।

    वन्दे ईशान देवाय नमस्तस्मै पिनाकिने ।

    नमस्तस्मै भगवते कैलासाचल वासिने ।

    आदिमध्यांत रूपाय मृत्युनाशं करोतु मे ।।

    त्र्यंबकाय नमस्तुभ्यं पंचस्याय नमोनमः ।

    नमोब्रह्मेन्द्र रूपाय मृत्युनाशं करोतु मे ।।

    नमो दोर्दण्डचापाय मम मृत्युम् विनाशय ।।

    देवं मृत्युविनाशनं भयहरं साम्राज्य मुक्ति प्रदम् ।

    नमोर्धेन्दु स्वरूपाय नमो दिग्वसनाय च ।

    नमो भक्तार्ति हन्त्रे च मम मृत्युं विनाशय ।।

    अज्ञानान्धकनाशनं शुभकरं विध्यासु सौख्य प्रदम् ।

    नाना भूतगणान्वितं दिवि पदैः देवैः सदा सेवितम् ।।

    सर्व सर्वपति महेश्वर हरं मृत्युंजय भावये ।।

    यह भी पढ़ें - Sawan 2024: सावन में जरूर करें भगवान शिव के इन प्रसिद्ध मंदिरों के दर्शन, सभी मुरादें होंगी पूरी

    शिव बिल्वाष्टकम्

    त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रियायुधं ।

    त्रिजन्म पापसंहारम् ऐकबिल्वं शिवार्पणं ।।

    त्रिशाखैः बिल्वपत्रैश्च अच्चिद्रैः कोमलैः शुभैः ।

    तवपूजां करिष्यामि ऐकबिल्वं शिवार्पणं ।।

    कोटि कन्या महादानं तिलपर्वत कोटयः ।

    काञ्चनं क्षीलदानेन ऐकबिल्वं शिवार्पणं ।।

    काशीक्षेत्र निवासं च कालभैरव दर्शनं ।

    प्रयागे माधवं दृष्ट्वा ऐकबिल्वं शिवार्पणं ।।

    इन्दुवारे व्रतं स्थित्वा निराहारो महेश्वराः ।

    नक्तं हौष्यामि देवेश ऐकबिल्वं शिवार्पणं ।।

    रामलिङ्ग प्रतिष्ठा च वैवाहिक कृतं तधा ।

    तटाकानिच सन्धानम् ऐकबिल्वं शिवार्पणं ।।

    अखण्ड बिल्वपत्रं च आयुतं शिवपूजनं ।

    कृतं नाम सहस्रेण ऐकबिल्वं शिवार्पणं ।।

    उमया सहदेवेश नन्दि वाहनमेव च ।

    भस्मलेपन सर्वाङ्गम् ऐकबिल्वं शिवार्पणं ।।

    सालग्रामेषु विप्राणां तटाकं दशकूपयो: ।

    यज्नकोटि सहस्रस्च ऐकबिल्वं शिवार्पणं ।।

    दन्ति कोटि सहस्रेषु अश्वमेध शतक्रतौ ।

    कोटिकन्या महादानम् ऐकबिल्वं शिवार्पणं ।।

    बिल्वाणां दर्शनं पुण्यं स्पर्शनं पापनाशनं ।

    अघोर पापसंहारम् ऐकबिल्वं शिवार्पणं ।।

    सहस्रवेद पाटेषु ब्रह्मस्तापन मुच्यते ।

    अनेकव्रत कोटीनाम् ऐकबिल्वं शिवार्पणं ।।

    अन्नदान सहस्रेषु सहस्रोप नयनं तधा ।

    अनेक जन्मपापानि ऐकबिल्वं शिवार्पणं ।।

    बिल्वस्तोत्रमिदं पुण्यं यः पठेश्शिव सन्निधौ ।

    शिवलोकमवाप्नोति ऐकबिल्वं शिवार्पणं ।।

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।