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    Sankashti Chaturthi 2025: विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी पर इस तरह करें गणेश जी को प्रसन्न, बनी रहेगी कृपा

    Updated: Tue, 09 Sep 2025 10:00 PM (IST)

    10 सितंबर को विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी (Vighnaraj sankashti chaturthi 2025) का व्रत किया जाएगा। यह तिथि भगवान गणेश की कृपा प्राप्ति के लिए बहुत ही उत्तम मानी गई है। ऐसे में आप इस पूजा के दौरान गणेश स्तुति व गणेश स्तोत्र का पाठ कर गणेश जी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

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    Vighnaraj Sankashti Chaturthi 2025 ऐसे प्राप्त करें गणेश जी की कृप।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आश्विन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जाता है। इस दिन भगवान गणेश जी की पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन पर भगवान गणेश की पूजा करने से साधक के जीवन में आ रहीं सभी प्रकार की बाधाएं दूर हो सकती हैं। साथ ही साधक व उसके परिवार को सुख-शांति का आशीर्वाद मिलता है।

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    गणेश स्तोत्र (Ganesha Stotram)

    प्रणम्य शिरसा देवं गौरी विनायकम् ।

    भक्तावासं स्मेर नित्यमाय्ः कामार्थसिद्धये ॥1॥

    प्रथमं वक्रतुडं च एकदंत द्वितीयकम् ।

    तृतियं कृष्णपिंगात्क्षं गजववत्रं चतुर्थकम् ॥2॥

    लंबोदरं पंचम च पष्ठं विकटमेव च ।

    सप्तमं विघ्नराजेंद्रं धूम्रवर्ण तथाष्टमम् ॥3॥

    नवमं भाल चंद्रं च दशमं तु विनायकम् ।

    एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजानन् ॥4॥

    द्वादशैतानि नामानि त्रिसंघ्यंयः पठेन्नरः ।

    न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो ॥5॥

    विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।

    पुत्रार्थी लभते पुत्रान्मो क्षार्थी लभते गतिम् ॥6॥

    जपेद्णपतिस्तोत्रं षडिभर्मासैः फलं लभते ।

    संवत्सरेण सिद्धिंच लभते नात्र संशयः ॥7॥

    अष्टभ्यो ब्राह्मणे भ्यश्र्च लिखित्वा फलं लभते ।

    तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादतः ॥8॥

    ॥ इति श्री नारद पुराणे संकष्टनाशनं नाम श्री गणपति स्तोत्रं संपूर्णम् ॥

    संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रोदय के बाद चंद्र को अर्घ्य देकर इस व्रत को खोला जाता है। ऐसे में इस दिन चन्द्रोदय रात 8 बजकर 6 मिनट पर होगा।

    गणेश स्तुति -

    मुदा करात्तमोदकं सदा विमुक्तिसाधकं कलाधरावतंसकं विलासिलोकरञ्जकम्।

    अनायकैकनायकं विनाशितेभदैत्यकं नताशुभाशुनाशकं नमामि तं विनायकम् ।।

    नतेतरातिभीकरं नवोदितार्कभास्वरं नमत्सुरारिनिर्जकं नताधिकापदुद्धरम् ।

    सुरेश्वरमं निधीश्वरं गजेश्वरं गणेश्वरं महेश्वरं तमाश्रये परात्परं निरन्तरम् ।।

    समस्तलोकशंकरं निरस्तदैत्यकुञ्जरं दरेतरोदरं वरं वरेभवक्त्रमक्षरम् ।

    कृपाकरं क्षमाकरं मुदाकरं यशस्करं नमस्करं नमस्कृतां नमस्करोमि भास्वरम् ।।

    अकिंचनार्तिमार्जनं चिरंतनोक्तिभाजनं पुरारिपूर्वनन्दनं सुरारिगर्वचर्वणम् ।

    प्रपञ्चनाशभीषणं धनंजयादिभूषणं कपोलदानवारणं भजे पुराणवारणम् ।।

    नितान्तकान्तदन्तकान्तिमन्तकान्तकात्मजमचिन्त्यरुपमन्तहीनमन्तरायकृन्तनम्।

    हृदन्तरे निरन्तरं वसन्तमेव योगिनां तमेकदन्तमेव तं विचिन्तयामि संततम् ।। ५।।

    महागणेश पञ्चरत्नमादरेण योऽन्वहं प्रगायति प्रभातके हृदि स्मरन् गणेश्वरम् ।

    अरोगतामदोषतां सुसाहितीं सुपुत्रतां समाहितायुरष्टभूतिमभ्युपैति सोऽचिरात् ।।

    मंगलमुर्ती मोरया

    "संकटों को हरने वाली चतुर्थी" संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से साधक को भगवान गणेश की कृपा की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि जो भी व्यक्ति इस दिन पर श्रद्धा से व्रत करता है उसकी सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है। 

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।