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    Rukmini Ashtami 2022: रुक्मिणी अष्टमी कब? जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

    By Shivani SinghEdited By:
    Updated: Tue, 13 Dec 2022 04:32 PM (IST)

    Rukmini Ashtami 2022 शास्त्रों के अनुसार पौष माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मां लक्ष्मी ने देवी रुक्मिणी के रूप में जन्म लिया था। मां का जन्म अष्टमी तिथि को होने के कारण इस दिन महिलाएं रुक्मिणी अष्टमी का व्रत करती हैं। जानिए तिथि शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

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    Rukmini Ashtami 2022: रुक्मिणी अष्टमी कब? जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

    नई दिल्ली, Rukmini Ashtami 2022: पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन रुक्मिणी अष्टमी का व्रत रखा जाता है। इस दिन देवी रुक्मिणी के साथ भगवान कृष्ण की पूजा विधि विधान से की जाती है। मान्यता है कि द्वापर युग में विदर्भ नरेश भीष्मक के घर पर देवी रुक्मिणी का जन्म हुआ था। देवी रुक्मिणी तो मां लक्ष्मी का ही स्वरूप माना जाता है। जानिए रुक्मिणी अष्टमी व्रत का शुभ मुहूर्त, तिथि और पूजा विधि।

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    रुक्मिणी अष्टमी 2022 तिथि और शुभ मुहूर्त (Rukmini Ashtami 2022 Date And Shubh Muhurat)

    हिंदू पंचांग के अनुसार, पौष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 16 दिसंबर 2022 को सुबह 01 बजकर 39 मिनट से हो शुरू हो रही है जो अगले दिन 17 दिसंबर 2022 को सुबह 03 बजकर 02 मिनट पर समाप्त हो रही है।

    अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 02 मिनट से 12 बजकर 43 मिनट तक

    आयुष्मान योग- 16 दिसंबर सुबह 07 बजकर 46 मिनट से 17 दिसंबर सुबह 07 बजकर 34 मिनट तक

    रुक्मिणी अष्टमी 2022 पूजा विधि (Rukmini Ashtami 2022 Puja Vidhi))

    • इस दिन सूर्योदय में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान आदि करके साफ सुथरे वस्त्र धारण कर लें।
    • भगवान कृष्ण और रुक्मिणी का ध्यान करें। इसके साथ की केला, तुलसी और पीपल में जल अर्पित करें। क्योंकि इन तीनों में भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का वास होता है।
    • अब एक चौकी में लाल या पीला रंग का वस्त्र बिछाकर भगवान गणेश, श्री कृष्ण और देवी रुक्मिणी की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें।
    • सबसे पहले भगवान गणेश का पूजा करें। इसके बाद श्री कृष्ण और देवी रुक्मिणी की विधिवत पूजा करें।
    • श्री कृष्ण और देवी रुक्मिणी को फूल, माला, सिंदूर, रोली, कुमकुम, नैवेद्य, अक्षत, पीला चंदन , पान सुपारी, लौंग, एक सिक्का, छोटी इलायची आदि अर्पित करें।
    • भगवान कृष्ण को पीले और मां रुक्मिणी को लाल रंग के वस्त्र अर्पित करें। इसके साथ ही सोलह श्रृंगार अर्पित करें।
    • भोग के रूप में खीर, मिठाई आदि चढ़ाएं और जल दें।
    • घी का दीपक और धूप जलाकर विधिवत चालीसा, मंत्र के बाद आरती कर लें।
    • अंत में भूल चूक के लिए माफी मांग लें।

    Pic Credit- instagram/kunjbihari31

    डिसक्लेमर

    इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।