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    Rin Mochan Stotra: मंगलवार के दिन पूजा के समय करें इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ, धन से भर जाएगी खाली तिजोरी

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Mon, 30 Oct 2023 04:04 PM (IST)

    धार्मिक मान्यता है कि मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा करने से जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही साढ़े साती के अशुभ प्रभावों से भी मुक्ति मिलती है। अगर आप भी हनुमान जी की कृपा के भागी बनना चाहते हैं तो मंगलवार के दिन पूजा के समय इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ करें।

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    Rin Mochan Stotra: मंगलवार के दिन पूजा के समय करें इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली | Rin Mochan Mangal Stotra: मंगलवार का दिन भगवान हनुमान को समर्पित होता है। इस दिन हनुमान जी की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत उपवास भी रखा जाता है। ज्योतिष भी कुंडली में मंगल मजबूत करने के लिए मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा करने की सलाह देते हैं। धार्मिक मान्यता है कि मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा करने से जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही साढ़े साती के अशुभ प्रभावों से भी मुक्ति मिलती है। अगर आप भी हनुमान जी की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो मंगलवार के दिन पूजा के समय इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ करें। इस स्तोत्र के पाठ से कर्ज संबंधी परेशानी दूर हो जाती है।

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    ऋण मोचन मंगल स्तोत्र

    मङ्गलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः ।

    स्थिरासनो महाकयः सर्वकर्मविरोधकः ॥

    लोहितो लोहिताक्षश्च सामगानां कृपाकरः ।

    धरात्मजः कुजो भौमो भूतिदो भूमिनन्दनः॥

    अङ्गारको यमश्चैव सर्वरोगापहारकः ।

    व्रुष्टेः कर्ताऽपहर्ता च सर्वकामफलप्रदः॥

    एतानि कुजनामनि नित्यं यः श्रद्धया पठेत् ।

    ऋणं न जायते तस्य धनं शीघ्रमवाप्नुयात् ॥

    धरणीगर्भसम्भूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम् ।

    कुमारं शक्तिहस्तं च मङ्गलं प्रणमाम्यहम् ॥

    स्तोत्रमङ्गारकस्यैतत्पठनीयं सदा नृभिः ।

    न तेषां भौमजा पीडा स्वल्पाऽपि भवति क्वचित् ॥

    अङ्गारक महाभाग भगवन्भक्तवत्सल ।

    त्वां नमामि ममाशेषमृणमाशु विनाशय ॥

    ऋणरोगादिदारिद्रयं ये चान्ये ह्यपमृत्यवः ।

    भयक्लेशमनस्तापा नश्यन्तु मम सर्वदा ॥

    अतिवक्त्र दुरारार्ध्य भोगमुक्त जितात्मनः ।

    तुष्टो ददासि साम्राज्यं रुश्टो हरसि तत्ख्शणात् ॥

    विरिंचिशक्रविष्णूनां मनुष्याणां तु का कथा ।

    तेन त्वं सर्वसत्त्वेन ग्रहराजो महाबलः ॥

    पुत्रान्देहि धनं देहि त्वामस्मि शरणं गतः ।

    ऋणदारिद्रयदुःखेन शत्रूणां च भयात्ततः ॥

    एभिर्द्वादशभिः श्लोकैर्यः स्तौति च धरासुतम् ।

    महतिं श्रियमाप्नोति ह्यपरो धनदो युवा ॥

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    श्री मारुती स्तोत्र

    ॐ नमो भगवते विचित्रवीरहनुमते प्रलयकालानलप्रभाप्रज्वलनाय ।

    प्रतापवज्रदेहाय । अंजनीगर्भसंभूताय ।

    प्रकटविक्रमवीरदैत्यदानवयक्षरक्षोगणग्रहबंधनाय ।

    भूतग्रहबंधनाय । प्रेतग्रहबंधनाय । पिशाचग्रहबंधनाय ।

    शाकिनीडाकिनीग्रहबंधनाय । काकिनीकामिनीग्रहबंधनाय ।

    ब्रह्मग्रहबंधनाय । ब्रह्मराक्षसग्रहबंधनाय । चोरग्रहबंधनाय ।

    मारीग्रहबंधनाय । एहि एहि । आगच्छ आगच्छ । आवेशय आवेशय ।

    मम हृदये प्रवेशय प्रवेशय । स्फुर स्फुर । प्रस्फुर प्रस्फुर । सत्यं कथय ।

    व्याघ्रमुखबंधन सर्पमुखबंधन राजमुखबंधन नारीमुखबंधन सभामुखबंधन

    शत्रुमुखबंधन सर्वमुखबंधन लंकाप्रासादभंजन । अमुकं मे वशमानय ।

    क्लीं क्लीं क्लीं ह्रुीं श्रीं श्रीं राजानं वशमानय ।

    श्रीं हृीं क्लीं स्त्रिय आकर्षय आकर्षय शत्रुन्मर्दय मर्दय मारय मारय।

    चूर्णय चूर्णय खे खे श्रीरामचंद्राज्ञया मम कार्यसिद्धिं ।

    कुरु कुरु ॐ हृां हृीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः फट् स्वाहा।

    विचित्रवीर हनुमत् मम सर्वशत्रून् भस्मीकुरु कुरु।

    हन हन हुं फट् स्वाहा ॥

    एकादशशतवारं जपित्वा सर्वशत्रून् वशमानयति नान्यथा इति ॥

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'