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    Nirjala Ekadashi 2023: आज करें विष्णु चालीसा का पाठ और आरती, घर आएगी सुख और समृद्धि

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Wed, 31 May 2023 09:22 AM (IST)

    धार्मिक मान्यता है कि निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु के निमित्त व्रत-उपवास करने से व्यक्ति को सभी एकादशियों के समतुल्य फल की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी पापों से मुक्ति मिलती है। अत आज पूजा के समय विष्णु चालीसा का पाठ और आरती जरूर करें।

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    Nirjala Ekadashi 2023: आज करें विष्णु चालीसा का पाठ और आरती, घर आएगी सुख और समृद्धि

    नई दिल्ली, आध्यात्म डेस्क | Nirjala Ekadashi 2023: हिन्दू पंचांग के अनुसार हर वर्ष ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी मनाई जाती है। इस प्रकार आज निर्जला एकादशी है। इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा-उपासना की जाती है। साथ ही विष्णु जी के निमित्त व्रत उपवास रखा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु के निमित्त व्रत-उपवास करने से व्यक्ति को सभी एकादशियों के समतुल्य फल की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी पापों से मुक्ति मिलती है। अगर आप भी भगवान विष्णु की कृपा पाना चाहते हैं, तो आज पूजा के समय विष्णु चालीसा का पाठ और आरती करें-

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    श्री विष्णु चालीसा

    दोहा

    विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय ।

    कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय ॥

    चौपाई

    नमो विष्णु भगवान खरारी, कष्ट नशावन अखिल बिहारी ।

    प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी, त्रिभुवन फैल रही उजियारी ॥

    सुन्दर रूप मनोहर सूरत, सरल स्वभाव मोहनी मूरत ।

    तन पर पीताम्बर अति सोहत, बैजन्ती माला मन मोहत ॥

    शंख चक्र कर गदा विराजे, देखत दैत्य असुर दल भाजे ।

    सत्य धर्म मद लोभ न गाजे, काम क्रोध मद लोभ न छाजे ॥

    सन्तभक्त सज्जन मनरंजन, दनुज असुर दुष्टन दल गंजन ।

    सुख उपजाय कष्ट सब भंजन, दोष मिटाय करत जन सज्जन ॥

    पाप काट भव सिन्धु उतारण, कष्ट नाशकर भक्त उबारण ।

    करत अनेक रूप प्रभु धारण, केवल आप भक्ति के कारण ॥

    धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा, तब तुम रूप राम का धारा ।

    भार उतार असुर दल मारा, रावण आदिक को संहारा ॥

    आप वाराह रूप बनाया, हिरण्याक्ष को मार गिराया ।

    धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया, चौदह रतनन को निकलाया ॥

    अमिलख असुरन द्वन्द मचाया, रूप मोहनी आप दिखाया ।

    देवन को अमृत पान कराया, असुरन को छवि से बहलाया ॥

    कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया, मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया ।

    शंकर का तुम फन्द छुड़ाया, भस्मासुर को रूप दिखाया

    वेदन को जब असुर डुबाया, कर प्रबन्ध उन्हें ढुढवाया ।

    मोहित बनकर खलहि नचाया, उसही कर से भस्म कराया ॥

    असुर जलन्धर अति बलदाई, शंकर से उन कीन्ह लड़ाई ।

    हार पार शिव सकल बनाई, कीन सती से छल खल जाई ॥

    सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी, बतलाई सब विपत कहानी ।

    तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी, वृन्दा की सब सुरति भुलानी ॥

    देखत तीन दनुज शैतानी, वृन्दा आय तुम्हें लपटानी ।

    हो स्पर्श धर्म क्षति मानी, हना असुर उर शिव शैतानी ॥

    भगवान विष्णु की आरती

    ओम जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।

    भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥

    जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।

    सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥

    ओम जय जगदीश हरे...॥

    मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।

    तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥

    ओम जय जगदीश हरे...॥

    तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी

    पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥

    ओम जय जगदीश हरे...॥

    तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।

    मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥

    ओम जय जगदीश हरे...॥

    तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।

    किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥

    ओम जय जगदीश हरे...॥

    दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।

    अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥

    ओम जय जगदीश हरे...॥

    विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।

    श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥

    ओम जय जगदीश हरे...॥

    तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।

    तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥

    ओम जय जगदीश हरे...॥

    जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।

    कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥

    ओम जय जगदीश हरे...॥

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'

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