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    Malmas 2023: पुरुषोत्तम मास में रोजाना करें विष्णु चालीसा का पाठ, सभी कार्यों में मिलेगी सफलता

    Malmas 2023 धार्मिक मान्यता है कि भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की उपासना करने से साधक को जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में अपार वृद्धि होती है। अगर आप भी लक्ष्मी नारायण की कृपा के भागी बनना चाहते हैं तो पुरुषोत्तम मास में प्रतिदिन विधि विधान से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करें।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 27 Jul 2023 10:05 AM (IST)
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    Malmas 2023: पुरुषोत्तम मास में रोजाना करें विष्णु चालीसा का पाठ, सभी कार्यों में मिलेगी सफलता

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Malmas 2023: मलमास का महीना भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस महीने में प्रत्येक दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। इस महीने को भगवान विष्णु ने अपना नाम दिया है। इसलिए मलमास को पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। ज्योतिषियों की मानें तो हर तीन साल में मलमास पड़ता है। इस महीने में भगवान विष्णु की विशेष पूजा-उपासना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की उपासना करने से साधक को जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में अपार वृद्धि होती है। अगर आप भी लक्ष्मी नारायण की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो पुरुषोत्तम मास में प्रतिदिन विधि विधान से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय विष्णु चालीसा का पाठ करें।

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    विष्णु चालीसा

    दोहा

    विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय ।

    कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय ॥

    चौपाई

    नमो विष्णु भगवान खरारी, कष्ट नशावन अखिल बिहारी ।

    प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी, त्रिभुवन फैल रही उजियारी ॥

    सुन्दर रूप मनोहर सूरत, सरल स्वभाव मोहनी मूरत ।

    तन पर पीताम्बर अति सोहत, बैजन्ती माला मन मोहत ॥

    शंख चक्र कर गदा विराजे, देखत दैत्य असुर दल भाजे ।

    सत्य धर्म मद लोभ न गाजे, काम क्रोध मद लोभ न छाजे ॥

    सन्तभक्त सज्जन मनरंजन, दनुज असुर दुष्टन दल गंजन ।

    सुख उपजाय कष्ट सब भंजन, दोष मिटाय करत जन सज्जन ॥

    पाप काट भव सिन्धु उतारण, कष्ट नाशकर भक्त उबारण ।

    करत अनेक रूप प्रभु धारण, केवल आप भक्ति के कारण ॥

    धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा, तब तुम रूप राम का धारा ।

    भार उतार असुर दल मारा, रावण आदिक को संहारा ॥

    आप वाराह रूप बनाया, हिरण्याक्ष को मार गिराया ।

    धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया, चौदह रतनन को निकलाया ॥

    अमिलख असुरन द्वन्द मचाया, रूप मोहनी आप दिखाया ।

    देवन को अमृत पान कराया, असुरन को छवि से बहलाया ॥

    कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया, मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया ।

    शंकर का तुम फंद छुड़ाया, भस्मासुर को रूप दिखाया ॥

    वेदन को जब असुर डुबाया, कर प्रबन्ध उन्हें ढुढवाया ।

    मोहित बनकर खलहि नचाया, उसही कर से भस्म कराया ॥

    असुर जलन्धर अति बलदाई, शंकर से उन कीन्ह लड़ाई ।

    हार पार शिव सकल बनाई, कीन सती से छल खल जाई ॥

    सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी, बतलाई सब विपत कहानी ।

    तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी, वृन्दा की सब सुरति भुलानी ॥

    देखत तीन दनुज शैतानी, वृन्दा आय तुम्हें लपटानी ।

    हो स्पर्श धर्म क्षति मानी, हना असुर उर शिव शैतानी ॥

    तुमने ध्रुव प्रहलाद उबारे, हिरणाकुश आदिक खल मारे ।

    गणिका और अजामिल तारे, बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे ॥

    हरहु सकल संताप हमारे, कृपा करहु हरि सिरजन हारे ।

    देखहुं मैं निज दरश तुम्हारे, दीन बन्धु भक्तन हितकारे ॥

    चाहता आपका सेवक दर्शन, करहु दया अपनी मधुसूदन ।

    जानूं नहीं योग्य जब पूजन, होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन ॥

    शीलदया सन्तोष सुलक्षण, विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण ।

    करहुं आपका किस विधि पूजन, कुमति विलोक होत दुख भीषण ॥

    करहुं प्रणाम कौन विधि सुमिरन, कौन भांति मैं करहु समर्पण ।

    सुर मुनि करत सदा सेवकाई, हर्षित रहत परम गति पाई ॥

    दीन दुखिन पर सदा सहाई, निज जन जानि लेव अपनाई ।

    पाप दोष संताप नशाओ, भवबन्धन से मुक्त कराओ ॥

    सुत सम्पति दे सुख उपजाओ, निज चरनन का दास बनाओ ।

    निगम सदा ये विनय सुनावै, पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै ॥

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'