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    Mangala Gauri Vrat पर पूजा के समय करें मंगलकारी स्तोत्र का पाठ, सभी संकटों से मिलेगी निजात

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Mon, 05 Aug 2024 07:23 PM (IST)

    ज्योतिषियों की मानें तो सावन माह के तीसरे मंगलवार पर यानी मंगला गौरी व्रत पर (Mangala Gauri Vrat 2024) वरीयान योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण सुबह 11 बजे तक है। इस दिन भगवान शिव शाम 07 बजकर 52 मिनट तक मां गौरी के साथ कैलाश पर विराजमान रहेंगे। इसके बाद भगवान शिव सभा में उपस्थित रहेंगे।

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    Mangala Gauri Vrat: मंगला गौरी व्रत का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Mangala Gauri Vrat 2024: मंगला गौरी व्रत सावन महीने के हर मंगलवार पर रखा जाता है। यह दिन शिव शक्ति को समर्पित होता है। इस दिन भगवान शिव संग मां पार्वती की पूजा की जाती है। वहीं, मंदिरों में शिव परिवार की विशेष पूजा की जाती है। इस अवसर पर महिलाएं मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं। इस व्रत को अविवाहित लड़कियां भी रखती हैं। धार्मिक मत है कि मंगला गौरी व्रत करने से जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है। अगर आप भी शिव-शक्ति की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो मंगला गौरी व्रत पर विधि-विधान से मां पार्वती की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय शिवरामाष्टक स्तोत्र का पाठ करें। 

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    ॥ श्री शिवरामाष्टकस्तोत्रम् ॥

    शिवहरे शिवराम सखे प्रभो,त्रिविधताप-निवारण हे विभो।

    अज जनेश्वर यादव पाहि मां,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥

    कमल लोचन राम दयानिधे,हर गुरो गजरक्षक गोपते।

    शिवतनो भव शङ्कर पाहिमां,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥

    स्वजनरञ्जन मङ्गलमन्दिर,भजति तं पुरुषं परं पदम्।

    भवति तस्य सुखं परमाद्भुतं,शिवहरे विजयं कुरू मे वरम्॥

    जय युधिष्ठिर-वल्लभ भूपते,जय जयार्जित-पुण्यपयोनिधे।

    जय कृपामय कृष्ण नमोऽस्तुते,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥

    भवविमोचन माधव मापते,सुकवि-मानस हंस शिवारते।

    जनक जारत माधव रक्षमां,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥

    अवनि-मण्डल-मङ्गल मापते,जलद सुन्दर राम रमापते।

    निगम-कीर्ति-गुणार्णव गोपते,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥

    पतित-पावन-नाममयी लता,तव यशो विमलं परिगीयते।

    तदपि माधव मां किमुपेक्षसे,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥

    अमर तापर देव रमापते,विनयतस्तव नाम धनोपमम्।

    मयि कथं करुणार्णव जायते,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥

    हनुमतः प्रिय चाप कर प्रभो,सुरसरिद्-धृतशेखर हे गुरो।

    मम विभो किमु विस्मरणं कृतं,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥

    नर हरेति परम् जन सुन्दरं,पठति यः शिवरामकृतस्तवम्।

    विशति राम-रमा चरणाम्बुजे,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥

    प्रातरूथाय यो भक्त्या पठदेकाग्रमानसः।

    विजयो जायते तस्य विष्णु सान्निध्यमाप्नुयात्॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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