Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Sawan Somwar 2023: सावन सोमवार पर जलाभिषेक के समय करें इस स्त्रोत का पाठ, सभी संकटों से मिलेगी निजात

    धार्मिक मान्यता है कि भगवान शिव महज जलाभिषेक से भी प्रसन्न हो जाते हैं। उनकी कृपा से साधक के सभी मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं। अतः शिव भक्त गंगाजल दूध या सामान्य जल से महादेव का अभिषेक करते हैं। अगर आप भी देवों के देव महादेव को प्रसन्न करना चाहते हैं तो सावन सोमवार पर जलाभिषेक के समय शिवाष्टक का पाठ अवश्य करें।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sun, 09 Jul 2023 04:05 PM (IST)
    Hero Image
    Sawan Somwar 2023: सावन सोमवार पर जलाभिषेक के समय करें इस स्त्रोत का पाठ, सभी संकटों से मिलेगी निजात

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Sawan Somwar 2023: हिन्दू पंचांग के अनुसार, 10 जुलाई को सावन महीने का पहला सोमवार है। इसे सावन सोमवारी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत भी रखा जाता है। सावन सोमवार पर भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान शिव महज जलाभिषेक से भी प्रसन्न हो जाते हैं। उनकी कृपा से साधक के सभी मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं। अतः शिव भक्त गंगाजल, दूध या सामान्य जल से महादेव का अभिषेक करते हैं। अगर आप भी देवों के देव महादेव को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो सावन सोमवार पर जलाभिषेक के समय शिवाष्टक का पाठ अवश्य करें। आइए, शिवाष्टक स्त्रोत का पाठ करें-

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    श्री शिवाष्टक

    नमामीशमीशान निर्वाणरूपं विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम।

    निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं चिदाकाशमाकाशवासं भजेअहम ।।

    निराकारमोंकारमूलं तुरीयं गिरा घ्य़ान गोतीतमीशं गिरीशम ।

    करालं महाकाल कालं कृपालं गुणागार संसारपारं नतोअहम ।।

    तुश्हाराद्रि संकाश गौरं गभीरं मनोभूत कोटिप्रभा श्री शरीरम ।

    स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारु गङ्गा लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा ।।

    चलत्कुण्डलं भ्रू सुनेत्रं विशालं प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम ।

    मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं प्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामि ।।

    प्रचण्डं प्रकृश्ह्टं प्रगल्भं परेशं अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशम ।

    त्रयः शूल निर्मूलनं शूलपाणिं भजे.अहं भवानीपतिं भावगम्यम ।।

    कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी ।

    चिदानन्द संदोह मोहापहारी प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ।।

    न यावत.ह उमानाथ पादारविन्दं भजन्तीह लोके परे वा नराणाम ।

    न तावत.ह सुखं शान्ति सन्तापनाशं प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासम ।।

    न जानामि योगं जपं नैव पूजां नतो.अहं सदा सर्वदा शम्भु तुभ्यम ।

    जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं प्रभो पाहि आपन्नमामीश शम्भो ।।

    रुद्राश्ह्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोश्हये ।

    ये पठन्ति नरा भक्त्या तेश्हां शम्भुः प्रसीदति ।।

    शिव स्तुति

    प्रभुं प्राणनाथं विभुं विश्वनाथं जगन्नाथ नाथं सदानन्द भाजाम् ।

    भवद्भव्य भूतेश्वरं भूतनाथं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥

    गले रुण्डमालं तनौ सर्पजालं महाकाल कालं गणेशादि पालम ।

    जटाजूट गङ्गेत्तरङ्गै र्विशालं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥

    मुदामाकरं मण्डनं मण्डयन्तं महा मण्डलं भस्म भूषाधरं तम् ।

    अनादिं ह्यपारं महा मोहमारं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥

    वटाधो निवासं महाट्टाट्टहासं महापाप नाशं सदा सुप्रकाशम् ।

    गिरीशं गणेशं सुरेशं महेशं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥

    गिरीन्द्रात्मजा सङ्गृहीतार्धदेहं गिरौ संस्थितं सर्वदापन्न गेहम् ।

    परब्रह्म ब्रह्मादिभिर्-वन्द्यमानं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥

    कपालं त्रिशूलं कराभ्यां दधानं पदाम्भोज नम्राय कामं ददानम् ।

    बलीवर्धमानं सुराणां प्रधानं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥

    शरच्चन्द्र गात्रं गणानन्दपात्रं त्रिनेत्रं पवित्रं धनेशस्य मित्रम् ।

    अपर्णा कलत्रं सदा सच्चरित्रं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥

    हरं सर्पहारं चिता भूविहारं भवं वेदसारं सदा निर्विकारं।

    श्मशाने वसन्तं मनोजं दहन्तं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥

    स्वयं यः प्रभाते नरश्शूल पाणे पठेत् स्तोत्ररत्नं त्विहप्राप्यरत्नम् ।

    सुपुत्रं सुधान्यं सुमित्रं कलत्रं विचित्रैस्समाराध्य मोक्षं प्रयाति ॥

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'