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    Vighnaraja Sankashti Chaturthi 2023: विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी पर करें ऋणमोचन महागणपति स्तोत्र का पाठ, आर्थिक तंगी से मिलेगी निजात

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Sun, 01 Oct 2023 06:39 PM (IST)

    Vighnaraja Sankashti Chaturthi 2023 धार्मिक मान्यता है कि विघ्नहर्ता गणपति बप्पा की पूजा करने से साधक के सकल मनोरथ सिद्ध होते हैं। साथ ही घर में सुख समृद्धि और खुशहाली आती है। अतः साधक श्रद्धा भाव से बप्पा की पूजा-उपासना करते हैं। अगर आप आर्थिक तंगी से परेशान हैं तो विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी के दिन पूजा के समय ऋणमोचन महागणपति स्तोत्र का पाठ करें।

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    Vighnaraja Sankashti Chaturthi 2023: विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी पर करें ऋणमोचन महागणपति स्तोत्र का पाठ, आर्थिक तंगी से मिलेगी निजात

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली | Vighnaraja Sankashti Chaturthi 2023: सनातन पंचांग के अनुसार, 2 अक्टूबर को विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी है। यह दिन गणपति बप्पा को समर्पित होता है। इस दिन विधि-विधान से गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही विशेष कार्य में सिद्धि प्राप्ति हेतु व्रत उपवास भी रखा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि विघ्नहर्ता गणपति बप्पा की पूजा करने से साधक के सकल मनोरथ सिद्ध होते हैं। साथ ही घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है। अतः साधक श्रद्धा भाव से गणपति बप्पा की पूजा-उपासना करते हैं। अगर आप आर्थिक तंगी से परेशान हैं, तो विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी के दिन पूजा के समय ऋणमोचन महागणपति स्तोत्र का पाठ करें। शास्त्रों में निहित है कि इस स्तोत्र को लगातार छह महीने तक करने से कर्ज संबंधी परेशानी दूर हो जाती है। आइए, ऋणमोचन महागणपति स्तोत्र का पाठ करें-

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    ऋणमोचन महागणपति स्तोत्र

    ॐ स्मरामि देव-देवेश। वक्र-तुण्डं महा-बलम्।

    षडक्षरं कृपा-सिन्धु, नमामि ऋण-मुक्तये।।

    महा-गणपतिं देवं, महा-सत्त्वं महा-बलम्।

    महा-विघ्न-हरं सौम्यं, नमामि ऋण-मुक्तये।।

    एकाक्षरं एक-दन्तं, एक-ब्रह्म सनातनम्।

    एकमेवाद्वितीयं च, नमामि ऋण-मुक्तये।।

    शुक्लाम्बरं शुक्ल-वर्णं, शुक्ल-गन्धानुलेपनम्।

    सर्व-शुक्ल-मयं देवं, नमामि ऋण-मुक्तये।।

    रक्ताम्बरं रक्त-वर्णं, रक्त-गन्धानुलेपनम्।

    रक्त-पुष्पै पूज्यमानं, नमामि ऋण-मुक्तये।।

    कृष्णाम्बरं कृष्ण-वर्णं, कृष्ण-गन्धानुलेपनम्।

    कृष्ण-पुष्पै पूज्यमानं, नमामि ऋण-मुक्तये।।

    पीताम्बरं पीत-वर्णं, पीत-गन्धानुलेपनम्।

    पीत-पुष्पै पूज्यमानं, नमामि ऋण-मुक्तये।।

    नीलाम्बरं नील-वर्णं, नील-गन्धानुलेपनम्।

    नील-पुष्पै पूज्यमानं, नमामि ऋण-मुक्तये।।

    धूम्राम्बरं धूम्र-वर्णं, धूम्र-गन्धानुलेपनम्।

    धूम्र-पुष्पै पूज्यमानं, नमामि ऋण-मुक्तये।।

    सर्वाम्बरं सर्व-वर्णं, सर्व-गन्धानुलेपनम्।

    सर्व-पुष्पै पूज्यमानं, नमामि ऋण-मुक्तये।।

    भद्र-जातं च रुपं च, पाशांकुश-धरं शुभम्।

    सर्व-विघ्न-हरं देवं, नमामि ऋण-मुक्तये।।

    फल-श्रुति

    यः पठेत् ऋण-हरं-स्तोत्रं, प्रातः-काले सुधी नरः।

    षण्मासाभ्यन्तरे चैव, ऋणच्छेदो भविष्यति।।

    गणेश जी के मंत्र

    1. ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।

    2. श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥

    3. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गण्पत्ये वर वरदे नमः

    4. ॐ तत्पुरुषाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात ।।

    5. ॐ वक्रतुण्डेक द्रष्टाय क्लींहीं श्रीं गं गणपतये

    वर वरद सर्वजनं मं दशमानय स्वाहा ।।

    डिसक्लेमर- 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'