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    Sawan 2024: सावन सोमवार पर जलाभिषेक के समय करें इस मंगलकारी स्तोत्र का पाठ, बनेंगे सारे बिगड़े काम

    सनातन धर्म में सावन सोमवार पर देवों के देव महादेव और मां पार्वती की विशेष पूजा जाती है। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्त के लिए सोमवार का व्रत (Sawan Somwar Importance 2024) रख जाता है। इस व्रत को रखने से साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुखों का नाश होता है।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sun, 21 Jul 2024 05:22 PM (IST)
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    Sawan 2024: इस विधि से करें भगवान शिव को प्रसन्न

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Sawan Somwar 2024: सनातन धर्म में सावन माह का विशेष महत्व है। इस महीने से लेकर कार्तिक महीने तक सृष्टि का संचालन देवों के देव महादेव करते हैं। इस अवसर पर देवों के देव महादेव की विशेष पूजा की जाती है। धार्मिक मत है कि सावन महीने में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही घर में सुख, समृद्धि एवं खुशहाली आती है। अगर आप भी भगवान शिव की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो सावन के पहले सोमवार पर विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा करें। इस समय अपनी सुविधा अनुसार दूध, दही, गंगाजल आदि चीजों से भगवान शिव का अभिषेक करें। वहीं, अभिषेक के समय इस मंगलकारी स्तोत्र का पाठ जरूर करें।

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    शिव स्तुति

    नमो भूत भूतनाथ नन्दीश्वर श्री हरे,

    बहत गंग शिरपरे,जटा उतंग फरफरे,

    हिमालये उमा सहित,शोभितं निरन्तरं,

    उमापति महेश्वरम,नमामि शिव शंकरम…

    त्रिताप पाप क्षारणं,प्रभाय धर्म धारणम,

    समस्त सृष्टि धारणम,मांगल्य मृत्यु कारणम…

    अगम अनादि आशुतोष,धुर्जटी धुरंधरम,

    उमापति महेश्वरम,नमामि शिव शंकरम..

    भले भभूत रंग में,रहत मस्त भंग में

    श्मशानघाट वासिनी भुत प्रेत संग में…

    करंत हस्त घोरनाद,डमरू डडंकरम,

    उमापति महेश्वरम नमामि शिव शंकरम…

    गले भुजंग मुण्डमाल भाल चंद शोभितंम ,

    मयंक भग्य दर्शकात्,भक्त चित लोभितंम …

    आनंदकंद ध्यान मस्त,ॐकार उच्चरम,

    उमापति महेश्वरम नमामि शिव शंकरम…

    धरि त्रिशूल हाथ नाथ,दक्ष यज्ञ खंडितम,

    रेमंड घोर गर्गरम तान्डव नृत्य मण्डितम,

    देवाधिदेव दिव्य भव्य भासकम भयंकरम,

    उमा पति महेश्वरम नमामि शिव शंकरम…

    अजर अमर त्रिपुर हरम..करम त्रिशूल धारणम,

    संसार पाश नाशनम भव व्याधि पार तारणम…

    भजंत सर्व शिव हरे सुरासुरम धुरंधरम,

    उमापति महेश्वरम नमामि शिव शंकरम…

    सोमेश्वरा,नागेश्वरा,श्रीमल्लिकार्जुनेश्वरा,

    महाकालं ममलेश्वरा धुश्मेशरा…

    विश्वेशरा,केदार,भीम,बैद्यनाथ,त्रयंबकम रामेश्वरम,

    उमापति महेश्वरम नमामि शिव शंकरम…

    प्रसन्न हो परम पिता,ये अनूपदान दायिताम,

    नमः शिवाय नमः शिवाय भक्त गुण गायितंम …

    नमः अलख निरंजनम श्याम मंगलम करम,

    उमा पति महेश्वरम नमामि शिव शंकर...

    उमा पति महेश्वरम नमामि शिव शंकर...

    उमा पति महेश्वरम नमामि शिव शंकर।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।