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    Maa Laxmi: मां लक्ष्मी की पूजा करते समय करें इस चालीसा का पाठ, बन जाएंगे सारे बिगड़े काम

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Fri, 19 Jul 2024 07:00 AM (IST)

    धार्मिक मत है कि शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी (Maa Laxmi Chalisa) के निमित्त लक्ष्मी वैभव व्रत रखने से व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से भी साधक को आर्थिक तंगी से मुक्ति मिलती है। शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने हेतु विशेष उपाय भी किए जाते हैं।

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    Maa Laxmi: लक्ष्मी वैभव व्रत का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Maa Laxmi Chalisa: वैदिक पंचांग के अनुसार, आज लक्ष्मी वैभव व्रत है। यह दिन धन की देवी मां लक्ष्मी को समर्पित होता है। इस अवसर पर धन की देवी मां लक्ष्मी की विशेष पूजा की जा रही है। साथ ही साधक उनके निमित्त लक्ष्मी वैभव व्रत रख रहे हैं। धार्मिक मत है कि लक्ष्मी वैभव व्रत करने से साधक (व्रती) की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही व्यक्ति को सुख, समृद्धि, यश-कीर्ति एवं धन-ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। अगर आप भी मां लक्ष्मी की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो आज विधि विधान से मां लक्ष्मी की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय महालक्ष्मी चालीसा का पाठ अवश्य करें।

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    महालक्ष्मी चालीसा (Maa Laxmi Chalisa In Hindi)

    दोहा

    जय जय श्री महालक्ष्मी, करूँ मात तव ध्यान।

    सिद्ध काज मम किजिये, निज शिशु सेवक जान॥

    चौपाई

    नमो महा लक्ष्मी जय माता।

    तेरो नाम जगत विख्याता॥

    आदि शक्ति हो मात भवानी।

    पूजत सब नर मुनि ज्ञानी॥

    जगत पालिनी सब सुख करनी।

    निज जनहित भण्डारण भरनी॥

    श्वेत कमल दल पर तव आसन।

    मात सुशोभित है पद्मासन॥

    श्वेताम्बर अरू श्वेता भूषण।

    श्वेतही श्वेत सुसज्जित पुष्पन॥

    शीश छत्र अति रूप विशाला।

    गल सोहे मुक्तन की माला॥

    सुंदर सोहे कुंचित केशा।

    विमल नयन अरु अनुपम भेषा॥

    कमलनाल समभुज तवचारि।

    सुरनर मुनिजनहित सुखकारी॥

    अद्भूत छटा मात तव बानी।

    सकलविश्व कीन्हो सुखखानी॥

    शांतिस्वभाव मृदुलतव भवानी।

    सकल विश्वकी हो सुखखानी॥

    महालक्ष्मी धन्य हो माई।

    पंच तत्व में सृष्टि रचाई॥

    जीव चराचर तुम उपजाए।

    पशु पक्षी नर नारी बनाए॥

    क्षितितल अगणित वृक्ष जमाए।

    अमितरंग फल फूल सुहाए॥

    छवि विलोक सुरमुनि नरनारी।

    करे सदा तव जय-जय कारी॥

    सुरपति औ नरपत सब ध्यावैं।

    तेरे सम्मुख शीश नवावैं॥

    चारहु वेदन तब यश गाया।

    महिमा अगम पार नहिं पाये॥

    जापर करहु मातु तुम दाया।

    सोइ जग में धन्य कहाया॥

    पल में राजाहि रंक बनाओ।

    रंक राव कर बिमल न लाओ॥

    जिन घर करहु माततुम बासा।

    उनका यश हो विश्व प्रकाशा॥

    जो ध्यावै से बहु सुख पावै।

    विमुख रहे हो दुख उठावै॥

    महालक्ष्मी जन सुख दाई।

    ध्याऊं तुमको शीश नवाई॥

    निज जन जानीमोहीं अपनाओ।

    सुखसम्पति दे दुख नसाओ॥

    ॐ श्री-श्री जयसुखकी खानी।

    रिद्धिसिद्ध देउ मात जनजानी॥

    ॐह्रीं-ॐह्रीं सब व्याधिहटाओ।

    जनउन विमल दृष्टिदर्शाओ॥

    ॐक्लीं-ॐक्लीं शत्रुन क्षयकीजै।

    जनहित मात अभय वरदीजै॥

    ॐ जयजयति जयजननी।

    सकल काज भक्तन के सरनी॥

    ॐ नमो-नमो भवनिधि तारनी।

    तरणि भंवर से पार उतारनी॥

    सुनहु मात यह विनय हमारी।

    पुरवहु आशन करहु अबारी॥

    ऋणी दुखी जो तुमको ध्यावै।

    सो प्राणी सुख सम्पत्ति पावै॥

    रोग ग्रसित जो ध्यावै कोई।

    ताकी निर्मल काया होई॥

    विष्णु प्रिया जय-जय महारानी।

    महिमा अमित न जाय बखानी॥

    पुत्रहीन जो ध्यान लगावै।

    पाये सुत अतिहि हुलसावै॥

    त्राहि त्राहि शरणागत तेरी।

    करहु मात अब नेक न देरी॥

    आवहु मात विलम्ब न कीजै।

    हृदय निवास भक्त बर दीजै॥

    जानूं जप तप का नहिं भेवा।

    पार करो भवनिध वन खेवा॥

    बिनवों बार-बार कर जोरी।

    पूरण आशा करहु अब मोरी॥

    जानि दास मम संकट टारौ।

    सकल व्याधि से मोहिं उबारौ॥

    जो तव सुरति रहै लव लाई।

    सो जग पावै सुयश बड़ाई॥

    छायो यश तेरा संसारा।

    पावत शेष शम्भु नहिं पारा॥

    गोविंद निशदिन शरण तिहारी।

    करहु पूरण अभिलाष हमारी॥

    दोहा

    महालक्ष्मी चालीसा, पढ़ै सुनै चित लाय।

    ताहि पदारथ मिलै, अब कहै वेद अस गाय॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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