Indrakshi Stotra: शुक्रवार के दिन करें इस स्तोत्र का पाठ, सभी दुखों का चंद दिनों में होगा नाश
Indrakshi Stotra धार्मिक मान्यता है कि मां लक्ष्मी की पूजा-उपासना करने से घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। साथ ही आय और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साधक कठिन साधना कर भी मां लक्ष्मी को प्रसन्न करते हैं। अगर आप भी जगत जननी आदि शक्ति को प्रसन्न करना चाहते हैं तो शुक्रवार के दिन पूजा के समय इन्द्राक्षी स्तोत्र का पाठ अवश्य करें।

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Indrakshi Stotra: शुक्रवार का दिन जगत जननी आदिशक्ति मां जगदंबा को समर्पित है। इस दिन मां के विभिन्न रूपों की पूजा-उपासना की जाती है। साधक विधि विधान से धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा-उपासना करते हैं। साथ ही मां लक्ष्मी के निमित्त (वैभव लक्ष्मी) व्रत-उपवास भी रखते हैं। धार्मिक मान्यता है कि मां लक्ष्मी की पूजा-व्रत करने से घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। साथ ही आय और सौभाग्य में वृद्धि होती है। कई साधक कठिन भक्ति कर मां लक्ष्मी को प्रसन्न करते हैं। अगर आप भी जगत जननी आदि शक्ति मां दुर्गा की कृपा पाना चाहते हैं, तो शुक्रवार के दिन पूजा के समय इन्द्राक्षी स्तोत्र का पाठ अवश्य करें। आइए, मां दुर्गा की स्तुति करते हैं-
इन्द्राक्षी स्तोत्र
इंद्राक्षी नाम सा देवी देवतैस्समुदाहृता ।
गौरी शाकंभरी देवी दुर्गानाम्नीति विश्रुता ॥
नित्यानंदी निराहारी निष्कलायै नमोऽस्तु ते ।
कात्यायनी महादेवी चंद्रघंटा महातपाः ॥
सावित्री सा च गायत्री ब्रह्माणी ब्रह्मवादिनी ।
नारायणी भद्रकाली रुद्राणी कृष्णपिंगला ॥
अग्निज्वाला रौद्रमुखी कालरात्री तपस्विनी ।
मेघस्वना सहस्राक्षी विकटांगी जडोदरी ॥
महोदरी मुक्तकेशी घोररूपा महाबला ।
अजिता भद्रदाऽनंता रोगहंत्री शिवप्रिया ॥
शिवदूती कराली च प्रत्यक्षपरमेश्वरी ।
इंद्राणी इंद्ररूपा च इंद्रशक्तिःपरायणी ॥
सदा सम्मोहिनी देवी सुंदरी भुवनेश्वरी ।
एकाक्षरी परा ब्राह्मी स्थूलसूक्ष्मप्रवर्धनी ॥
रक्षाकरी रक्तदंता रक्तमाल्यांबरा परा ।
महिषासुरसंहर्त्री चामुंडा सप्तमातृका ॥
वाराही नारसिंही च भीमा भैरववादिनी ।
श्रुतिस्स्मृतिर्धृतिर्मेधा विद्यालक्ष्मीस्सरस्वती ॥
अनंता विजयाऽपर्णा मानसोक्तापराजिता ।
भवानी पार्वती दुर्गा हैमवत्यंबिका शिवा ॥
शिवा भवानी रुद्राणी शंकरार्धशरीरिणी ।
ऐरावतगजारूढा वज्रहस्ता वरप्रदा ॥
धूर्जटी विकटी घोरी ह्यष्टांगी नरभोजिनी ।
भ्रामरी कांचि कामाक्षी क्वणन्माणिक्यनूपुरा ॥
ह्रींकारी रौद्रभेताली ह्रुंकार्यमृतपाणिनी ।
त्रिपाद्भस्मप्रहरणा त्रिशिरा रक्तलोचना ॥
नित्या सकलकल्याणी सर्वैश्वर्यप्रदायिनी ।
दाक्षायणी पद्महस्ता भारती सर्वमंगला ॥
कल्याणी जननी दुर्गा सर्वदुःखविनाशिनी ।
इंद्राक्षी सर्वभूतेशी सर्वरूपा मनोन्मनी ॥
महिषमस्तकनृत्यविनोदन-स्फुटरणन्मणिनूपुरपादुका ।
जननरक्षणमोक्षविधायिनी जयतु शुंभनिशुंभनिषूदिनी ॥
शिवा च शिवरूपा च शिवशक्तिपरायणी ।
मृत्युंजयी महामायी सर्वरोगनिवारिणी ॥
ऐंद्रीदेवी सदाकालं शांतिमाशुकरोतु मे ।
ईश्वरार्धांगनिलया इंदुबिंबनिभानना ॥
सर्वोरोगप्रशमनी सर्वमृत्युनिवारिणी ।
अपवर्गप्रदा रम्या आयुरारोग्यदायिनी ॥
इंद्रादिदेवसंस्तुत्या इहामुत्रफलप्रदा ।
इच्छाशक्तिस्वरूपा च इभवक्त्राद्विजन्मभूः ॥
भस्मायुधाय विद्महे रक्तनेत्राय धीमहि तन्नो ज्वरहरः प्रचोदयात् ॥
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