Masik Durga Ashtami 2023: सावन मासिक दुर्गाष्टमी पर जरूर पढ़ें ये व्रत कथा, दूर हो जाएंगे दुख और संकट
Masik Durga Ashtami 2023 ममतामयी मां दुर्गा दयालु और कृपालु हैं। अपने भक्तों पर कृपा-दृष्टि बरसाती हैं। उनकी कृपा से साधक को सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। अगर आप भी मां अंबे की कृपा के भागी बनना चाहते हैं तो सावन मासिक दुर्गाष्टमी पर विधि विधान से जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा की की पूजा-उपासना अवश्य करें।

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Masik Durga Ashtami 2023: आज सावन महीने की दुर्गाष्टमी है। मासिक दुर्गाष्टमी हर महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन जगत जननी आदिशक्ति मां अंबे अर्थात मां दुर्गा की पूजा-अर्चना की जा रही है। साथ ही विशेष कार्य में सिद्धि प्राप्ति हेतु व्रत उपवास भी रखा जा रहा है। ममतामयी मां दुर्गा दयालु और कृपालु हैं। अपने भक्तों के सभी दुख हर लेती हैं। उनकी कृपा से साधक को सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। अतः साधक श्रद्धा भाव से जगत जननी मां भवानी की पूजा करते हैं। अगर आप भी मां अंबे की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो सावन मासिक दुर्गाष्टमी पर विधि विधान से जगत जननी आदिशक्ति की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय व्रत कथा पढ़ें। इस व्रत कथा के पाठ या श्रवण से सभी दुख और संकट दूर हो जाते हैं। आइए, व्रत कथा पढ़ें-
व्रत कथा
चिरकाल में असुरों के आतंक से तीनों लोकों में हाहाकार मच गया। असुरों ने स्वर्ग पर अपना अधिपत्य जमा लिया। असुर सेना का नेतृत्व महिषासुर कर रहा था। तत्कालीन समय में महिषासुर ने कठिन तप कर त्रिदेव से अतुल बल प्राप्त कर लिया था। साथ ही महिषासुर को देवता से परास्त न होने का वरदान भी प्राप्त था। इसके लिए तीनों लोकों में त्राहिमाम मचा हुआ था। असुर अपने विरोधी को चीटियों की तरह मसल रहे थे। यह देख त्रिदेव भगवान शिव, विष्णु और ब्रह्मा जी क्रोधित हो उठे।
उस समय त्रिदेव के तेज से शक्ति स्वरूप जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा प्रकट हुईं। मां दुर्गा के मुखमंडल पर कांति आभा झलक रही थी। इस आभा से समस्त ब्रह्मांड प्रकाशवान हो उठा। सभी देवी-देवता मां की महिमामंडन करने लगे। त्रिदेव ने आदिशक्ति का अभिवादन किया। इसके बाद त्रिदेव ने मां दुर्गा को अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए। कालांतर में मां दुर्गा ने महिषासुर से युद्ध किया। इस युद्ध में जगत जननी रन चंडी रूप धारण की थीं। मां दुर्गा के सन्मुख महिषासुर टिक नहीं पाया। अंततः महिषासुर ने मन ही मन हार स्वीकार कर लिया। उस समय महिषासुर का वध कर जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा ने धर्म की स्थापना की। इस तिथि से दुर्गाष्टमी मनाई जाती है।
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